सीवीसी की समिति ने 21,735 करोड़ रुपये के 139 बैंक धोखाधड़ी मामलों में ‘सलाह’ दी
punjabkesari.in Thursday, Aug 11, 2022 - 03:36 PM (IST)
नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा गठित समिति एबीबीएफएफ ने पिछले तीन साल में 21,735 करोड़ रुपये की 139 बैंक धोखाधड़ी मामलों में सलाह दी है।
सीवीसी ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से पूर्व सतर्कता आयुक्त टी एम भसीन की अध्यक्षता में बैंक और वित्तीय धोखाधड़ी के लिये परामर्श बोर्ड (एबीबीएफएफ) का गठन अगस्त, 2019 में किया था। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों की तरफ से धोखाधड़ी के बारे में प्राप्त सूचना के आधार पर मामलों में प्राथमिक स्तर की जांच करना था। ये मामले बोर्ड के पास सीबीआई जैसे एजेंसियों को सौंपे जाने से पहले आते हैं।
बोर्ड को जांच एजेंसियों को सलाह देने से पहले संदर्भित धोखाधड़ी के मामलों में कर्मचारियों की संभावित गड़बड़ी या दुर्भावनापूर्ण इरादे की प्राथमिक जांच का कार्य सौंपा गया है।
इससे पहले, इस साल जनवरी में बोर्ड का दायरा बढ़ाया गया। इसके तहत तीन करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के मामलों की प्राथमिक जांच करने का जिम्मा दिया गया जो पहले 50 करोड़ रुपये था।
सूत्रों के अनुसार, गठन के बाद से एबीबीएफएफ को विभिन्न संगठनों से 147 मामले मिले। इसमें से 139 मामलों के सलाह दी गयी और आठ मामलों में और ब्योरा बैंकों से मांगा गया।
कुल मामलों में 119 मामले बोर्ड की जांच का दायरा बढ़ाये जाने के बाद जनवरी, 2022 से मिले हैं।
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा नौ मामले बोर्ड से सलाह लेने के लिये केंद्रीय जांच ब्यूरो से मिले।
यह सूचना केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) सुरेश एन पटेल और दो सतर्कता आयुक्तों अरविंद कुमार और पी के श्रीवास्तवन के साथ बैठक में दी गयी।
सूत्रों ने बताया कि मामलों के निपटान के दौरान एबीबीएफएफ उसकी विस्तार से जांच करता है और संबंधित सीवीओ (नोडल अधिकारी) के साथ विस्तृत चर्चा करता है। इसका मकसद यह पता लगाना है कि क्या गड़बड़ी में कोई आपराधिक या दुर्भावनापूर्ण इरादा था? बोर्ड प्राय: संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के साथ बातचीत करता है ताकि मामले को बेहतर तरीके से परखा जा सके और बोर्ड के संचालन के संबंध में उनके विचार प्राप्त हो सकें।
सूत्रों के अनुसार, विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर यह पता चला है कि एबीबीएफएफ की स्थापना के साथ इन वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों का भरोसा काफी बढ़ा है। इसके कारण कर्ज स्वीकृति, ऋण वितरण और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था में समग्र ऋण वृद्धि को लेकर भावनाओं में सुधार हुआ है।
एबीबीएफएफ को स्थापित करने के पीछे सोच इन वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों के बीच निर्णय को लेकर डर को दूर करना और भरोसे को बढ़ाना था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
सीवीसी ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से पूर्व सतर्कता आयुक्त टी एम भसीन की अध्यक्षता में बैंक और वित्तीय धोखाधड़ी के लिये परामर्श बोर्ड (एबीबीएफएफ) का गठन अगस्त, 2019 में किया था। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों की तरफ से धोखाधड़ी के बारे में प्राप्त सूचना के आधार पर मामलों में प्राथमिक स्तर की जांच करना था। ये मामले बोर्ड के पास सीबीआई जैसे एजेंसियों को सौंपे जाने से पहले आते हैं।
बोर्ड को जांच एजेंसियों को सलाह देने से पहले संदर्भित धोखाधड़ी के मामलों में कर्मचारियों की संभावित गड़बड़ी या दुर्भावनापूर्ण इरादे की प्राथमिक जांच का कार्य सौंपा गया है।
इससे पहले, इस साल जनवरी में बोर्ड का दायरा बढ़ाया गया। इसके तहत तीन करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के मामलों की प्राथमिक जांच करने का जिम्मा दिया गया जो पहले 50 करोड़ रुपये था।
सूत्रों के अनुसार, गठन के बाद से एबीबीएफएफ को विभिन्न संगठनों से 147 मामले मिले। इसमें से 139 मामलों के सलाह दी गयी और आठ मामलों में और ब्योरा बैंकों से मांगा गया।
कुल मामलों में 119 मामले बोर्ड की जांच का दायरा बढ़ाये जाने के बाद जनवरी, 2022 से मिले हैं।
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा नौ मामले बोर्ड से सलाह लेने के लिये केंद्रीय जांच ब्यूरो से मिले।
यह सूचना केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) सुरेश एन पटेल और दो सतर्कता आयुक्तों अरविंद कुमार और पी के श्रीवास्तवन के साथ बैठक में दी गयी।
सूत्रों ने बताया कि मामलों के निपटान के दौरान एबीबीएफएफ उसकी विस्तार से जांच करता है और संबंधित सीवीओ (नोडल अधिकारी) के साथ विस्तृत चर्चा करता है। इसका मकसद यह पता लगाना है कि क्या गड़बड़ी में कोई आपराधिक या दुर्भावनापूर्ण इरादा था? बोर्ड प्राय: संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के साथ बातचीत करता है ताकि मामले को बेहतर तरीके से परखा जा सके और बोर्ड के संचालन के संबंध में उनके विचार प्राप्त हो सकें।
सूत्रों के अनुसार, विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर यह पता चला है कि एबीबीएफएफ की स्थापना के साथ इन वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों का भरोसा काफी बढ़ा है। इसके कारण कर्ज स्वीकृति, ऋण वितरण और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था में समग्र ऋण वृद्धि को लेकर भावनाओं में सुधार हुआ है।
एबीबीएफएफ को स्थापित करने के पीछे सोच इन वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों के बीच निर्णय को लेकर डर को दूर करना और भरोसे को बढ़ाना था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।