मुफ्त सौगातों के वादे पर न्यायालय के सुझाव का निर्वाचन आयोग ने किया स्वागत

punjabkesari.in Wednesday, Aug 10, 2022 - 10:51 PM (IST)

नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) निर्वाचन आयोग ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उसने चुनावों के दौरान किये जाने वाले मुफ्त सुविधाओं के वादे के मुद्दे पर विचार-मंथन के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने के सुझाव का स्वागत किया है, लेकिन ‘संवैधानिक प्राधिकार’ होने के नाते वह इस समिति का हिस्सा नहीं बनना चाहेगा जिसमें कुछ सरकारी निकायों के प्रतिनिधि हो सकते हैं।

आयोग ने इस विषय पर एक जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई के लिए दौरान उसके खिलाफ शीर्ष अदालत की कथित सख्त मौखिक टिप्पणियों का भी जिक्र किया और कहा कि इनसे कई सालों में बनी इस संस्था की साख को अपूरणीय क्षति पहुंची है।

जनहित याचिका में चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त चीजें या योजनाओं का लाभ देने का वादा करने के चलन का विरोध किया गया है और आयोग से अनुरोध किया गया है कि वह राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों पर रोक लगाने तथा उनके पंजीकरण निरस्त करने के अपने अधिकार का उपयोग करे।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने तीन अगस्त को केंद्र, नीति आयोग, वित्त आयोग और आरबीआई जैसे हितधारकों से मुफ्त चीजों के वादों के गंभीर विषय पर मंथन करने और इनसे निपटने के लिए सकारात्मक सुझाव देने को कहा था।

पीठ ने आयोग से नाखुशी जताते हुए कहा था कि यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि आयोग ने कोई रुख नहीं अख्तियार किया।

निर्वाचन आयोग के निदेशक (विधि) विनय कुमार पांडेय के जवाबी हलफनामे में कहा गया, ‘‘शीर्ष अदालत के फैसले का अक्षरश: पालन कर रहे निर्वाचन आयोग की छवि इस तरह पेश की गयी जैसे कि यह संस्था मुफ्त चीजें देने के मुद्दे से निपटने में गंभीर नहीं है।’’

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PTI News Agency

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