उत्तर प्रदेश में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सुनील बंसल पर तीन प्रमुख राज्यों की जिम्मेदारी

punjabkesari.in Wednesday, Aug 10, 2022 - 08:26 PM (IST)

नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उभार में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सुनील बंसल को केंद्र की सत्ताधारी पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के साथ ही पूर्वी भारत और दक्षिणी भारत के तीन प्रमुख राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव की दृष्टि से उसके लिए बेहद अहम हैं।

भाजपा ने बंसल को बुधवार को पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और तेलंगाना का प्रभारी नियुक्त किया। पश्चिम बंगाल में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रखर आलोचक ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है वहीं तेलंगाना में केसीआर के नाम से मशहूर के चंद्रशेखर राव की अगुवाई में तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार है। ममता की ही तरह राव भी प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ आग उगलने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।

ओड़िशा में नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजू जनता दल (बीजद) की सरकार है, जिसके पास लोकसभा में 12 और राज्यसभा में नौ सांसद हैं। बीजद का रुख भाजपा और कांग्रेस से बराबर दूरी बनाए रखने का रहता है लेकिन अक्सर यह भी देखा गया है कि उसके नेता प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला करने से बचते हैं और महत्वपूर्ण मौकों पर संसद में सरकार का साथ भी देते हैं।

बहरहाल, भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के स्थान पर पश्चिम बंगाल का प्रभार बंसल को सौंपा है। विजयवर्गीय के पास 2015 से बंगाल का प्रभार था। उनके नेतृत्व में राज्य में भाजपा का उभार भी हुआ और पिछले लोकसभा चुनाव में उसने राज्य की 18 सीटों पर कब्जा जमाया और आज वह राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी की भूमिका में है।

हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में बाबुल सुप्रियो और अर्जुन सिंह जैसे सांसदों के अलावा भाजपा के कई नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का कद बढ़ाए जाने से भी वहां की राज्य इकाई में असंतोष है। ऐसे में बंसल के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2019 के प्रदर्शन को दोहराने की होगी।

तेलंगाना में भी भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हाल ही में पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक भी वहां आयोजित की थी। भाजपा भ्रष्टाचार और परिवारवाद के मुद्दे पर अक्सर मुख्यमंत्री राव पर हमलावर रहती है।

राव भी प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। पिछले कुछ समय से वह 2024 के लोकसभा चुनाव के मुद्देनजर विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान में लगे हुए है। राज्य की 17 लोकसभा सीटों में से नौ पर फिलहाल टीआरएस का, चार पर भाजपा का, तीन पर कांग्रेस का और एक पर एआईएमआईएम का कब्जा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में चार सीटों पर जीत मिलने और उसके बाद हैदराबाद नगरपालिका के चुनाव तथा कुछ उपचुनावों में भी शानदार प्रदर्शन करने से तेलंगाना में भाजपा की उम्मीदों को बल मिला है।

तेलंगाना में बंसल ने प्रभारी के रूप में राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग का स्थान लिया है जबकि ओड़िशा में वह पार्टी महासचिव डी पुरंदेश्वरी का स्थान लेंगे।

ओड़िशा में भी भाजपा लंबे समय से अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हुई है। राज्य विधानसभा के चुनाव में वह बीजद को मात देने में अब तक विफल रही है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य की 21 में से आठ सीटों पर कब्जा जमाया था जबकि बीजद को 12 और कांग्रेस को एक ही सीट पर जीत मिली थी।

हाल ही में देश की राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं द्रौपदी मुर्मू ओड़िशा की हैं और संथाल आदिवासी समाज से ताल्लुक रखती हैं। भाजपा ने उन्हें जब राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था तब उसके इस कदम को ओड़िशा और देश के आदिवासियों के बीच पकड़ मजबूत करने की उसकी रणनीति के रूप में देखा गया था।

बंसल को 2014 में उत्तर प्रदेश में संगठन महासचिव नियुक्त किया गया था। उस साल के लोकसभा चुनाव में अमित शाह के पास उत्तर प्रदेश का प्रभार था। बंसल ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और राज्य में भाजपा की दशा और दिशा बदलने में प्रमुख योगदान दिया।

वर्ष 2014 के चुनाव में राज्य की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा जमाया जबकि दो सीटों पर सहयोगी अपना दल (एस) को जीत मिली। बंसल के कार्यकाल में ही भाजपा ने 2014 के अलावा 2019 का भी चुनाव जीता और लगातार दो विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने का रिकार्ड भी बनाया।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि नयी जिम्मेदारी मिलने से उत्तर प्रदेश भाजपा में बंसल युग की समाप्ति तो हो गई है लेकिन उनके लिए अब तीन प्रमुख राज्यों में पार्टी की स्थिति मजबूत कर 2024 में नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने में योगदान देने की चुनौती बड़ी हो गई है।



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