अमेरिकी नेशनल साइंस फाउंडेशन के निदेशक ने प्रधान से मुलाकात की, शैक्षणिक विषयों पर चर्चा की
punjabkesari.in Tuesday, Aug 09, 2022 - 07:28 PM (IST)
नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) अमेरिकी नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) के निदेशक सेतुरमन पंचनाथन ने मंगलवार को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित (एसटीईएम) अध्ययन के लिए भारत की योजनाओं पर चर्चा की ।
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, बैठक के बाद प्रधान ने मंत्रालय से अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के नेतृत्व में एनएसएफ के साथ संबद्धता बढ़ाने की रूपरेखा तैयार करने और इस संबंध में अन्य संबंधित मंत्रालयों से भी परामर्श करने को कहा है।
मंत्री ने कहा कि देश भर के विभिन्न क्षेत्रों के विभिन्न संस्थानों में प्रतिभा का खजाना मौजूद है, जो आगे बढ़ने की बाट जोह रहा है, इसलिए एनएसएफ को देश के प्रमुख संस्थानों के अलावा अब तक प्रतिनिधित्व से वंचित रहे एनआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और राज्य विश्वविद्यालयों जैसे संस्थानों के साथ अपनी संबद्धता बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
एनईपी 2020 के अनुसार सृजित किए जा रहे शिक्षा-कौशल की निरंतरता का उल्लेख करते हुए प्रधान ने पॉलिटेक्निक, आईटीआई और सामुदायिक कॉलेजों जैसे संस्थानों तक पहुंच कायम कर कौशल क्षेत्र को इस तरह के सहयोग के दायरे में लाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ यह सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता और जिम्मेदारी है कि सभी युवाओं, चाहे वे मुख्यधारा की शिक्षा में हों या औपचारिक या अनौपचारिक कौशल क्षेत्र में... उनको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल के समान अवसर प्राप्त हों, ताकि वे 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें।’’
गौरतलब है कि एनएसएफ एक स्वतंत्र एजेंसी है, जिस पर वैज्ञानिक खोज, तकनीकी नवाचार और एसटीईएम शिक्षा को बढ़ावा देने का दायित्व है। 8.8 बिलियन डॉलर के बजट के साथ एनएसएफ गणित, कंप्यूटर विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में संघीय वित्त पोषण का प्रमुख स्रोत है।
वहीं, भारत की प्राथमिकताओं का जिक्र करते हुए पंचनाथन ने कहा कि भारत की ही तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की समावेशिता और पहुंच अमेरिकी सरकार की भी प्राथमिकता है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि कौशल में शामिल संस्थानों सहित प्रतिनिधित्व से वंचित रहे संस्थानों के साथ सहयोग के लिए एनएसएफ उन तक पहुंच बनाएगा, ताकि उन संस्थानों की प्रतिभाओं को भी निखारा जा सके।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, बैठक के बाद प्रधान ने मंत्रालय से अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के नेतृत्व में एनएसएफ के साथ संबद्धता बढ़ाने की रूपरेखा तैयार करने और इस संबंध में अन्य संबंधित मंत्रालयों से भी परामर्श करने को कहा है।
मंत्री ने कहा कि देश भर के विभिन्न क्षेत्रों के विभिन्न संस्थानों में प्रतिभा का खजाना मौजूद है, जो आगे बढ़ने की बाट जोह रहा है, इसलिए एनएसएफ को देश के प्रमुख संस्थानों के अलावा अब तक प्रतिनिधित्व से वंचित रहे एनआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और राज्य विश्वविद्यालयों जैसे संस्थानों के साथ अपनी संबद्धता बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
एनईपी 2020 के अनुसार सृजित किए जा रहे शिक्षा-कौशल की निरंतरता का उल्लेख करते हुए प्रधान ने पॉलिटेक्निक, आईटीआई और सामुदायिक कॉलेजों जैसे संस्थानों तक पहुंच कायम कर कौशल क्षेत्र को इस तरह के सहयोग के दायरे में लाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ यह सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता और जिम्मेदारी है कि सभी युवाओं, चाहे वे मुख्यधारा की शिक्षा में हों या औपचारिक या अनौपचारिक कौशल क्षेत्र में... उनको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल के समान अवसर प्राप्त हों, ताकि वे 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें।’’
गौरतलब है कि एनएसएफ एक स्वतंत्र एजेंसी है, जिस पर वैज्ञानिक खोज, तकनीकी नवाचार और एसटीईएम शिक्षा को बढ़ावा देने का दायित्व है। 8.8 बिलियन डॉलर के बजट के साथ एनएसएफ गणित, कंप्यूटर विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में संघीय वित्त पोषण का प्रमुख स्रोत है।
वहीं, भारत की प्राथमिकताओं का जिक्र करते हुए पंचनाथन ने कहा कि भारत की ही तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की समावेशिता और पहुंच अमेरिकी सरकार की भी प्राथमिकता है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि कौशल में शामिल संस्थानों सहित प्रतिनिधित्व से वंचित रहे संस्थानों के साथ सहयोग के लिए एनएसएफ उन तक पहुंच बनाएगा, ताकि उन संस्थानों की प्रतिभाओं को भी निखारा जा सके।
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