जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये भारत के कदमों की अदालत ने सराहना की

punjabkesari.in Tuesday, Aug 09, 2022 - 07:14 PM (IST)

नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्त की गई जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं को लागू करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है।

अदालत को बताया गया था कि सरकार ने पेरिस समझौते के तहत भारत के अद्यतन राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (एनडीसी) को मंजूरी दे दी है।


सरकार ने चार अगस्त को अदालत को यह भी बताया कि अद्यतन एनडीसी से संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क अभिसमय (यूएनएफसीसीसी) को अवगत कराया जाएगा।


एनडीसी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तर से दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये देश की योजनाओं व संकल्पों को शामिल किया गया है। इतना ही नहीं इसमें जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिये तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने का लक्ष्य तय किया गया है।

उच्च न्यायालय ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में कदमों के कार्यान्वयन और आने वाली पीढ़ियों को बेहतर वातावरण प्रदान करने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ ही अन्य मंत्रालयों की भी सराहना की।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियन प्रसाद की पीठ ने कहा, “स्थिति रिपोर्ट यह बहुत स्पष्ट करती है कि भारत सरकार राष्ट्रीय निर्धारित योगदान को लागू करने में युद्ध स्तर पर आगे बढ़ रही है और प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के अद्यतन एनडीसी को मंजूरी दे दी है, जिससे यूएनएफसीसीसी को अवगत कराया जाएगा।”

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन अगस्त को अद्यतन एनडीसी को मंजूरी दी थी, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ग्लासगो सम्मेलन में किए गए दो वादों को शामिल किया गया था। अद्यतन एनडीसी के अनुसार, भारत अब 2030 तक 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति की स्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।


अदालत को एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान इस बारे में बताया गया। याचिका में यूएनएफसीसीसी में भारत द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की गई थी।


स्थिति रिपोर्ट और अन्य घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, याचिकाकर्ता के वकील ने प्रतिवेदित किया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों को ध्यान में रखते हुए कोई और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है और याचिका को वापस लेने की प्रार्थना की।


इसके बाद उच्च न्यायालय ने वकील रोहित मदान की याचिका को वापस लिया हुआ मानकर निस्तारित कर दिया।




यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News