कोविड के दौरान सामाजिक कौशल में पिछड़ गए बच्चे: सर्वेक्षण में 58 प्रतिशत शिक्षकों की राय
punjabkesari.in Tuesday, Aug 09, 2022 - 04:34 PM (IST)
नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) कम से कम 58 प्रतिशत शिक्षकों का मानना है कि कोविड महामारी के दौरान स्कूल बंद होने की वजह से बच्चे सामाजिक कौशल के मामले में पिछड़ गये हैं और कम ध्यान दिये जाने के कारण आसानी से विचलित हो जाते हैं। शिक्षण में हुए नुकसान और इसकी भरपाई को लेकर एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।
सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि कोविड-19 महामारी के बाद 50 प्रतिशत से भी कम बच्चे आयु बढ़ने के अनुरूप सीख पाए।
स्माइल फाउंडेशन द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में 48,000 से अधिक स्कूली बच्चों ने भाग लिया। इसमें 22 राज्यों में शहरी, ग्रामीण और आकांक्षी जिलों में बच्चों से बात की गयी।
इसमें कहा गया, ‘‘58 प्रतिशत शिक्षकों की राय थी कि बच्चे सामाजिक कौशल के मोर्चे पर पिछड़ गये हैं और आसानी से विचलित हो जाते हैं। उन पर कम ध्यान दिया गया है।’’
सर्वेक्षण में कहा गया कि शिक्षकों के मुताबिक पिछले दो साल में 50 प्रतिशत से भी कम बच्चे अपनी पढ़ाई में हुए नुकसान से उबर पाए हैं।
इसमें कहा गया कि शिक्षा में हुए नुकसान से उबरने वाले इन बच्चों में अधिकतर वो हैं जो महामारी से पहले भी पढ़ाई-लिखाई में अच्छे थे। इसलिए बाकी बच्चों को उनके अपेक्षित प्रशिक्षण स्तर तक लाने में कुछ समय लगेगा और इसके लिए आने वाले महीनों में प्रयास करने होंगे।
सर्वे में इस बात पर ध्यान दिया गया है कि अब माता-पिता ने अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर ज्यादा समय देना शुरू कर दिया है।
इसके अनुसार 47 प्रतिशत अभिभावक मानते हैं कि उनके तथा स्कूल में शिक्षकों के बीच संवाद बढ़ा है जिसमें फोन पर बातचीत भी शामिल है।
सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘‘50 प्रतिशत माता-पिता के अनुसार महामारी के दौरान नेटवर्क, उपकरणों और डेटा पैक जैसे डिजिटल प्रशिक्षण के संसाधन नहीं होने से बच्चों के लिए शिक्षा का स्तर पर्याप्त नहीं रहा।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि कोविड-19 महामारी के बाद 50 प्रतिशत से भी कम बच्चे आयु बढ़ने के अनुरूप सीख पाए।
स्माइल फाउंडेशन द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में 48,000 से अधिक स्कूली बच्चों ने भाग लिया। इसमें 22 राज्यों में शहरी, ग्रामीण और आकांक्षी जिलों में बच्चों से बात की गयी।
इसमें कहा गया, ‘‘58 प्रतिशत शिक्षकों की राय थी कि बच्चे सामाजिक कौशल के मोर्चे पर पिछड़ गये हैं और आसानी से विचलित हो जाते हैं। उन पर कम ध्यान दिया गया है।’’
सर्वेक्षण में कहा गया कि शिक्षकों के मुताबिक पिछले दो साल में 50 प्रतिशत से भी कम बच्चे अपनी पढ़ाई में हुए नुकसान से उबर पाए हैं।
इसमें कहा गया कि शिक्षा में हुए नुकसान से उबरने वाले इन बच्चों में अधिकतर वो हैं जो महामारी से पहले भी पढ़ाई-लिखाई में अच्छे थे। इसलिए बाकी बच्चों को उनके अपेक्षित प्रशिक्षण स्तर तक लाने में कुछ समय लगेगा और इसके लिए आने वाले महीनों में प्रयास करने होंगे।
सर्वे में इस बात पर ध्यान दिया गया है कि अब माता-पिता ने अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर ज्यादा समय देना शुरू कर दिया है।
इसके अनुसार 47 प्रतिशत अभिभावक मानते हैं कि उनके तथा स्कूल में शिक्षकों के बीच संवाद बढ़ा है जिसमें फोन पर बातचीत भी शामिल है।
सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘‘50 प्रतिशत माता-पिता के अनुसार महामारी के दौरान नेटवर्क, उपकरणों और डेटा पैक जैसे डिजिटल प्रशिक्षण के संसाधन नहीं होने से बच्चों के लिए शिक्षा का स्तर पर्याप्त नहीं रहा।’’
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