विपक्ष ने सरकार से अक्षय ऊर्जा उत्पादन को लेकर स्पष्ट नीति बनाने की मांग की

punjabkesari.in Monday, Aug 08, 2022 - 04:00 PM (IST)

नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) विपक्षी सांसदों ने देश में अक्षय ऊर्जा उत्पादन को लेकर स्पष्ट नीति बनाये जाने की मांग करते हुए सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि गैर-जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता के लक्ष्यों की प्राप्ति में देश कहां तक पहुंचा है।

लोकसभा में सोमवार को ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक, 2022 पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विधेयक में सहयोगात्मक संघवाद का भी ध्यान रखा जाना चाहिए और राज्यों को अधिकार देने चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम सौर ऊर्जा समेत अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लक्ष्य तो निर्धारित करते हैं लेकिन हमारे पास संसाधन नहीं है।

शुक्रवार को विधेयक पर सदन में हुई चर्चा को आगे बढ़ाते हुए चौधरी ने कहा कि देश में संसाधनों की कमी है, अनुसंधान का अभाव है, फिर भी सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है।

उन्होंने कहा कि 2021 से सौर ऊर्जा उत्पादों में जीएसटी बढ़ाई गयी है जिससे उत्पादन लागत बढ़ने और उसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ने का अनुमान है।

चौधरी ने कहा कि सरकार ने 2022 तक सौर ऊर्जा समेत 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह वर्ष आधा बीत चुका है और हम 2023 की ओर बढ़ रहे हैं, ऐसे में सरकार के पास क्या नीति है और हम लक्ष्य प्राप्ति में कहां तक पहुंचे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सोलर पैनल के घरेलू उत्पादन में विफल रही है और चीन से बड़ी मात्रा में इसका आयात किया जाता है।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर सरकार की नीति बार-बार बदलती रहती है और उसे एक स्पष्ट नीति प्रस्तुत करनी चाहिए।

उन्होंने दावा किया कि सोलर रूफटॉप, प्रधानमंत्री कुसुम योजना आदि में सरकार लक्ष्य तक नहीं पहुंची है और कई कार्यक्रम बंद कर दिये गये।

सुले ने कहा, ‘‘ऐसे में सरकार को एक स्पष्ट नीति पेश करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार कोयला खनन और खानों को लेकर आक्रामक रुख अख्तियार कर रही है, दूसरी तरफ विद्युत मंत्रालय अक्षय ऊर्जा की दिशा में सक्रियता से काम कर रहा है।

उन्होंने दावा किया कि ऊर्जा उत्पादन को लेकर दोनों मंत्रालयों के रुख विरोधाभासी हैं।

सुले ने सरकार से यह भी पूछा कि ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया और बायोमास आदि के मामले में देश में अनुसंधान की क्या स्थिति है।

उन्होंने कहा कि केंद्र ने उदय योजना के तहत राज्यों को निधि दी और तब ऐसा कुछ नहीं कहा था कि यह ऋण आदि के रूप में दिया जा रहा है। सुले ने कहा कि राज्यों ने सोचा था कि गरीबों, किसानों को विद्युत वितरण के लिहाज से सहायता के लिए यह राशि दी जा रही है।

सुले ने कहा, ‘‘अब सरकार कह रही है कि निशुल्क योजनाएं (फ्रीबीज) बंद होनी चाहिए। अगर किसानों को राहत मिल जाएगी तो इसमें आपत्ति क्या है। सरकार का दोहरा मानदंड है। किसानों को आप पैसा दें तो अच्छा, राज्य दें तो फ्रीबीज।’’
विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने शुक्रवार को विधेयक सदन में पेश किया था।

द्रमुक के जी एस पोन ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि विधेयक में पर्यावरण संरक्षण की सोच है।

भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि यह सरकार अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को बहुत गंभीरता के साथ समय पर पूरा करती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए काम कर रही है।
जारी

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