नागरिकों को ब्लैकमेल करने के लिए जनहित याचिका का इस्तेमाल करने पर एनजीओ पर लगा 10 लाख रूपये जुर्माना
punjabkesari.in Wednesday, Aug 03, 2022 - 09:32 PM (IST)
नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां अनधिकृत निर्माण के आरोप के साथ जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पर यह कहते हुए 10 लाख रूपये का जुर्माना लगाया है कि पीआईएल के आदर्श मंच का नागरिकों को ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है ।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह ‘कानून की प्रक्रिया का विशुद्ध दुरुपयोग है’ क्योंकि तथ्यों को छिपाने की बात एनजीओ ने स्वीकार की है और यह स्थापित प्रस्थापना है कि जिसका दामन साफ नहीं है , वह किसी भी राहत का हकदार नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि 10 लाख रूपये की जुर्माना राशि 30 दिनों के अंदर सैनिकों की विधवाओं से जुड़े फंड ‘आर्मी वार विडोज फंड’ में जमा करायी जाए और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो साकेत के उपसंभागीय मजिस्ट्रेट भूराजस्व को रोक कर और उसे इस फंड में अंतरित कर इस राशि को वसूलेंगे।
याचिकाकर्ता एनजीओ ‘न्यू राइज फाउंडेशन’ ने दलील दी थी कि दक्षिण दिल्ली के नेब सराय में एक अनधिकृत/अवैध ढांचा है और उसने दावा किया था कि उसने प्रशासन को कई आवेदन दिये हैं लेकिन इस संबंध में अबतक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के वकील अजय दिगपॉल ने वकीलों कमल दिगपॉल एवं स्वाति क्वात्रा के साथ मिलकर कहा कि यह किसी का विषय नहीं है कि एमसीडी अनधिकृत निर्माणों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं कर रही है और जब कभी अनधिकृत/अवैध निर्माण की कोई सूचना उसके संज्ञान में लायी जाती है तो वह तत्परता से कार्रवाई करती है।
वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एनजीओ बिल्डरों एवं अन्य लोगों को ब्लैकमेल करने में लगा है ।
पीठ ने 29 जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘‘ इस अदालत की सुविचारित राय में वर्तमान याचिका कुछ नहीं बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है , इसलिए इस अदालत की राय है कि वर्तमान याचिका को 10 लाख रूपये के जुर्माने के साथ स्वीकृति के चरण में ही खारिज कर दिया जाए और यह राशि आज से 30दिनों के अंदर आर्मी वार विडोज फंड में डाली जाए। ’’
यह आदेश बुधवार को उपलब्ध कराया गया।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह ‘कानून की प्रक्रिया का विशुद्ध दुरुपयोग है’ क्योंकि तथ्यों को छिपाने की बात एनजीओ ने स्वीकार की है और यह स्थापित प्रस्थापना है कि जिसका दामन साफ नहीं है , वह किसी भी राहत का हकदार नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि 10 लाख रूपये की जुर्माना राशि 30 दिनों के अंदर सैनिकों की विधवाओं से जुड़े फंड ‘आर्मी वार विडोज फंड’ में जमा करायी जाए और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो साकेत के उपसंभागीय मजिस्ट्रेट भूराजस्व को रोक कर और उसे इस फंड में अंतरित कर इस राशि को वसूलेंगे।
याचिकाकर्ता एनजीओ ‘न्यू राइज फाउंडेशन’ ने दलील दी थी कि दक्षिण दिल्ली के नेब सराय में एक अनधिकृत/अवैध ढांचा है और उसने दावा किया था कि उसने प्रशासन को कई आवेदन दिये हैं लेकिन इस संबंध में अबतक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के वकील अजय दिगपॉल ने वकीलों कमल दिगपॉल एवं स्वाति क्वात्रा के साथ मिलकर कहा कि यह किसी का विषय नहीं है कि एमसीडी अनधिकृत निर्माणों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं कर रही है और जब कभी अनधिकृत/अवैध निर्माण की कोई सूचना उसके संज्ञान में लायी जाती है तो वह तत्परता से कार्रवाई करती है।
वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एनजीओ बिल्डरों एवं अन्य लोगों को ब्लैकमेल करने में लगा है ।
पीठ ने 29 जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘‘ इस अदालत की सुविचारित राय में वर्तमान याचिका कुछ नहीं बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है , इसलिए इस अदालत की राय है कि वर्तमान याचिका को 10 लाख रूपये के जुर्माने के साथ स्वीकृति के चरण में ही खारिज कर दिया जाए और यह राशि आज से 30दिनों के अंदर आर्मी वार विडोज फंड में डाली जाए। ’’
यह आदेश बुधवार को उपलब्ध कराया गया।
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