लंबित मामले बड़ी समस्या, बुनियादी ढांचों के अभाव में बढ़ रही समस्याएं: सीजेआई

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 10:39 PM (IST)

नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने मंगलवार को कहा कि भारत में लंबित मामले एक ‘बड़ा मुद्दा’ है और मुकदमों के बढ़ते बोझ और बुनियादी ढांचों के अभाव तथा पर्याप्त संख्या में न्यायाधीशों की कमी के कारण यह समस्या ‘गंभीर’ होती जा रही है।

सीजेआई ने कहा कि एक ऐसा मुद्दा जो दुनिया भर में अदालतों की व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, वह नियमित अदालतों के भीतर निर्णय लेने में लगने वाले लंबे समय से संबंधित है।
न्यायमूर्ति रमण ने लंदन में ''भारत-ब्रिटेन वाणिज्यिक विवादों की मध्यस्थता'' पर एक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देते हुए कहा, “इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत में मामलों का लंबित होना एक प्रमुख मुद्दा है। इसके कारणों में भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, जनसंख्या, अधिकारों के बारे में बढ़ती जागरूकता आदि शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बुनियादी ढांचे की गैर-मौजूदगी और बढ़ते कार्यभार के अनुरूप न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या न होने से समस्या तीव्र होती जा रही है। यही कारण है कि मैं भारत में न्यायिक बुनियादी ढांचे को बदलने और उन्नत करने के साथ-साथ न्यायिक रिक्तियों को भरने और न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जोरदार वकालत कर रहा हूं।”
न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के बाद, शीर्ष अदालत में 11 रिक्त पदों को भरने के अलावा, कॉलेजियम विभिन्न उच्च न्यायालयों में 163 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित कर सका है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लंबित मामलों के बोझ को कम करने का एक अन्य तरीका विवाद समाधान के अन्य साधनों, जैसे मध्यस्थता या सुलह को, बढ़ावा देना और लोकप्रिय बनाना है ।

सीजेआई ने कहा, ‘‘वास्तव में, अपने पेशेवर कानूनी करियर के दौरान, मैं विवाद निपटान तंत्र का एक मजबूत समर्थक रहा हूं, जिसमें वादियों को पारंपरिक मुकदमे का सामना करने की आवश्यकता नहीं होती है।’’
सीजेआई ने कहा कि लंदन दुनिया का वित्तीय केंद्र रहा है और भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक व्यापार और वाणिज्यिक संबंधों को दोहराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत ब्रिटेन का 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और 2020 में ब्रिटेन से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 14.9 अरब पाउंड था।



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PTI News Agency

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