सेवा शुल्क पर प्रतिबंधः कई रेस्तरा के कर्मियों ने कहा- वेतन वृद्धि की मांग करेंगे

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 10:16 PM (IST)

नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा होटल और रेस्तरांओं को खाने के बिल में स्वत: लगने वाले सेवा शुल्क को जोड़ने से प्रतिबंधित किए जाने पर रेस्तराओं के वेटर, खानसामे और अन्य कर्मचारियों ने नाराज़गी जताई है। कई का कहना है कि वे इस नुकसान की भरपाई के लिए रेस्तरां मालिकों से ‘वेतन में वृद्धि की मांग’ करेंगे जबकि अन्य ने आशंका जताई कि खुशी से दी जाने वाली ‘टिप’ (बख्शीश) भी ‘अब कम हो सकती है।’
उत्तराखंड के रहने वाले 27 वर्षीय प्रकाश सिंह दक्षिण दिल्ली में मशहूर मोती महल डीलक्स रेस्तरां में खानसामा हैं। उनका कहा है कि ग्राहकों से लिए जाने वाला सेवा शुल्क कर्मचारियों में बांटा जाता था और यह ‘अतिरिक्त आय’ और प्रोत्साहन होता था।

सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, “ मुझे इस व्यवसाय में आए करीब पांच साल हो गए हैं। एक खानसामे के रूप में, मैं मेहमानों के लिए लज़ीज़ खाना बनाता रहूंगा, लेकिन इस फैसले ने हमारे मनोबल को प्रभावित किया है, क्योंकि अब हमें केवल अपने वेतन से ही संतुष्ट रहना होगा। क्या महज़ 14,000 रुपये की तनख्वाह से महंगाई के इस दौर में गुज़ारा करना संभव है? हमें नए मानदंडों का पालन करना होगा, इसलिए मैं भरपाई के लिए अपने नियोक्ता से वेतन वृद्धि की मांग करूंगा।”
इस प्रसिद्ध श्रृंखला के लिए 18 वर्षों से काम कर रहे और रेस्तरां के प्रबंधक नवीन पांडे ने भी अपने सहयोगियों की बात से सहमति जताई है।

दिल्ली निवासी पांडे ने कहा कि अगर उनकी तनख्वाह में बढ़ोतरी नहीं होती है तो उन्हें दूसरी जगह नौकरी की तलाश करनी पड़ेगी।

ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों के बीच सीसीपीए ने सोमवार को होटल एवं रेस्तरां को बिल में सेवा शुल्क जोड़ने से प्रतिबंधित करते हुए इसका उल्लंघन होने पर ग्राहकों को शिकायत करने की अनुमति प्रदान कर दी।

इस फैसले को पूरे भारत में होटल व्यवसायियों, रेस्तरां मालिकों और संघों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है, जिनमें से कुछ ने कहा कि यह कदम उनके व्यवसाय को "प्रभावित नहीं करेगा", जबकि अन्य ने आशंका जताई कि इससे उनके राजस्व पर असर पड़ सकता है और उनके कर्मचारियों में असंतोष पैदा हो सकता है, जो अब तक हर महीने सेवा शुल्क में अपना हिस्सा लेते थे।

रेस्तरां व्यवसाय में खानसामा, वेटर और रसोई कर्मचारी अहम भूमिका निभाते हैं और कुछ डेस्क कर्मी या प्रबंधक होते हैं। पीटीआई-भाषा ने दिल्ली से लेकर कोलकाता, मुंबई और चेन्नई तक कई नामचीन और छोटे रेस्तरां, कैफे और होटल के कर्मचारियों से बातचीत की है। उनका कहना है कि उन्हें नए नियमों को स्वीकार करना ही होगा, लेकिन कई ने साफ किया कि वे अपने मौजूदा वेतन के साथ समझौता नहीं करेंगे।

पश्चिम बंगाल में कोलकाता के न्यू मार्केट इलाके में स्थित मशहूर ‘अमीनिया’ रेस्तरां के एक वेटर ने नाम न छापने के आग्रह पर कहा, “ मुझे ग्राहकों से बतौर टिप हर दिन औसतन 1000-1500 रुपये मिलते हैं। हमने कभी इसकी मांग नहीं की लेकिन कई लोग खुद से बिल के साथ 50-100 रुपये का अतिरिक्त नोट रख देते हैं। नहीं पता कि क्या टिप को भी सेवा शुल्क खत्म करने के नाम पर बंद कर दिया जाएगा।”
दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित एक रेस्तरां के कर्मी राजेश (49) ने बताया, “ मैं पिछले 25 सालों से इस रेस्तरों में काम कर रहा हूं। दिल्ली जैसे शहर में पांच लोगों के परिवार का भरण पोषण करने के लिए मेरी तनख्वाह बहुत कम है। सेवा शुल्क से हमें थोड़ी राहत मिलती थी। मुझे सेवा शुल्क के रूप में हर महीने 1,800-2,000 रुपये मिलते थे। इस पैसे से बस पास जैसे खर्चे निकालने में मदद मिलती थी। यह हमारे जीवन को प्रभावित करेगा। हमारा क्या कसूर है।”
देशभर में कई होटल व्यवसायियों, रेस्तरां मालिकों और संघों ने भी आतिथ्य और खानपान के क्षेत्रों पर कोविड-19 महामारी के भयानक प्रभाव की ओर इशारा किया, और इस कदम से व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभाव पर चिंता जताई।

मुंबई में महाराजा रेस्तरां के निदेशक और होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया (एचआरएडब्ल्यूआई) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदीप शेट्टी ने कहा, “ महामारी की वजह से परेशानियों के बाद रेस्तरां व्यवसाय धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा था। महामारी के दौरान कई कर्मचारी चले गए थे और अन्य नौकरियों में लगे हुए थे। इस व्यवसाय में कर्मचारियों को बनाए रखना और उन्हें काम पर रखना बहुत मुश्किल है।”
उन्होंने कहा कि व्यवसाय छोड़ चुके लोगों को वापस बुलाने की कोशिश में थे लेकिन सेवा शुल्क पर लिए गए फैसले से उनके लिए इस व्यवसाय में आकर्षण खत्म हो गया है।

उन्होंने कहा, "अब मालिक के तौर पर हमें इस पर काम करना होगा और देखना होगा कि हम अपने कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति कैसे कर सकते हैं।”
तमिलनाडु होटल एसोसिएशन और केरल होटल एवं रेस्तरां एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि उनके सदस्य ग्राहकों से सेवा शुल्क नहीं वसूलते थे।



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