अस्पताल कमरों पर जीएसटी लगाने से किफायती स्वास्थ्य सेवा पर असर नहींः सचिव
punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 07:57 PM (IST)
नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) राजस्व सचिव तरुण बजाज ने 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले गैर-आईसीयू कमरों पर जीएसटी लगाए जाने का बचाव करते हुए मंगलवार को कहा कि इससे आबादी के बड़े हिस्से को किफायती दर पर स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराने पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
बजाज ने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा कि अस्पतालों के गैर-आईसीयू कमरों पर पांच प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का असर बहुत कम होगा।
उद्योग मंडल फिक्की समेत कई संगठनों ने 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले गैर-आईसीयू कमरों पर कर लगाने से स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की लागत बढ़ने की आशंका जताई है।
जीएसटी परिषद की पिछले सप्ताह हुई बैठक में अस्पतालों के इन कमरों के किराये पर पांच प्रतिशत कर लगाने का फैसला किया गया था।
बजाज ने कहा, "मुझे नहीं मालूम कि पानीपत या मेरठ जैसे छोटे शहरों में ऐसे अस्पताल होंगे जिनके यहां कमरों का किराया 5,000 रुपये से अधिक होगा। मैं यह भी जानना चाहूंगा कि देश भर के अस्पतालों में कितने कमरों का किराया इतना है। मुझे लगता है कि यह संख्या बहुत कम होगी। ऐसे में अगर मैं कमरे के किराये पर 5,000 रुपये खर्च कर सकता हूं तो 250 रुपये जीएसटी भी दे सकता हूं। इस राजस्व का इस्तेमाल गरीबों के लिए ही किया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि इस शुल्क से किफायती स्वास्थ्य सेवा पर असर पड़ने के दावे को लेकर वह काफी हैरान हैं। उन्होंने कहा, "मुझे ऐसी कोई वजह नहीं दिखती है कि इस फैसले से किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होगी।"
इस बीच स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के संगठन नैटहेल्थ ने सरकार से इस फैसले को फिलहाल स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि बोम्मई समिति की अनुशंसाएं आने के बाद इस पर कोई फैसला लिया जाना चाहिए।
नैटहेल्थ ने एक बयान में कहा, "कर छूट की व्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से खत्म करना एक प्रशंसनीय उद्देश्य है लेकिन इसे अंतिम उत्पादन चरण पर हटाने और कच्चे माल एवं मध्यवर्ती स्तर पर हटाने के बीच फर्क किया जाना चाहिए। यह कर स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ डालता है।"
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
बजाज ने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा कि अस्पतालों के गैर-आईसीयू कमरों पर पांच प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का असर बहुत कम होगा।
उद्योग मंडल फिक्की समेत कई संगठनों ने 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले गैर-आईसीयू कमरों पर कर लगाने से स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की लागत बढ़ने की आशंका जताई है।
जीएसटी परिषद की पिछले सप्ताह हुई बैठक में अस्पतालों के इन कमरों के किराये पर पांच प्रतिशत कर लगाने का फैसला किया गया था।
बजाज ने कहा, "मुझे नहीं मालूम कि पानीपत या मेरठ जैसे छोटे शहरों में ऐसे अस्पताल होंगे जिनके यहां कमरों का किराया 5,000 रुपये से अधिक होगा। मैं यह भी जानना चाहूंगा कि देश भर के अस्पतालों में कितने कमरों का किराया इतना है। मुझे लगता है कि यह संख्या बहुत कम होगी। ऐसे में अगर मैं कमरे के किराये पर 5,000 रुपये खर्च कर सकता हूं तो 250 रुपये जीएसटी भी दे सकता हूं। इस राजस्व का इस्तेमाल गरीबों के लिए ही किया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि इस शुल्क से किफायती स्वास्थ्य सेवा पर असर पड़ने के दावे को लेकर वह काफी हैरान हैं। उन्होंने कहा, "मुझे ऐसी कोई वजह नहीं दिखती है कि इस फैसले से किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होगी।"
इस बीच स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के संगठन नैटहेल्थ ने सरकार से इस फैसले को फिलहाल स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि बोम्मई समिति की अनुशंसाएं आने के बाद इस पर कोई फैसला लिया जाना चाहिए।
नैटहेल्थ ने एक बयान में कहा, "कर छूट की व्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से खत्म करना एक प्रशंसनीय उद्देश्य है लेकिन इसे अंतिम उत्पादन चरण पर हटाने और कच्चे माल एवं मध्यवर्ती स्तर पर हटाने के बीच फर्क किया जाना चाहिए। यह कर स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ डालता है।"
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