2025 के अंत तक यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर होगा भारत : सरकार

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 07:21 PM (IST)

नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि भारत को वर्ष 2025 के अंत तक यूरिया आयात करने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि पारंपरिक यूरिया और नैनो तरल यूरिया का घरेलू उत्पादन देश की वार्षिक मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त रहने की उम्मीद है।
वर्तमान में देश का यूरिया (पारंपरिक) उत्पादन 260 लाख टन है, जबकि स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए लगभग 90 लाख टन का आयात किया जाता है।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि हम 2025 के अंत तक यूरिया मामले में आत्मनिर्भर हो जायेंगे और आयात पर कोई निर्भरता नहीं रहेगी। पारंपरिक यूरिया और नैनो यूरिया का हमारा घरेलू उत्पादन मांग से अधिक होगा।’’ मंत्री ने कहा कि पारंपरिक यूरिया के लिए लगभग 60 लाख टन उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी, जबकि नैनो यूरिया का उत्पादन बढ़कर 44 करोड़ बोतल (प्रत्येक 500 मिलीलीटर) प्रतिवर्ष होने का अनुमान है, जो 200 लाख टन पारंपरिक यूरिया के बराबर होगा।
मांडविया ने कहा कि किसानों ने नैनो यूरिया को अच्छी तरह अपनाना है जो बहुत उत्साहजनक है। उन्होंने कहा कि तरल पोषक तत्व मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के साथ-साथ फसल की उपज बढ़ाने के लिए भी प्रभावी हैं।
मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, आयात में कमी होने से सरकार को सालाना करीब 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
नैनो यूरिया की एक बोतल यूरिया के एक बैग के बराबर होती है। इसके उपयोग से मिट्टी, जल और वायु प्रदूषण में प्रभावी रूप से कमी आ सकती है जो उत्पादन और खपत दोनों स्तरों पर रासायनिक उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल की वजह से होता है।
मौजूदा समय में नैनो यूरिया का उत्पादन पांच करोड़ बोतल प्रतिवर्ष का हो रहा है।
प्रमुख सहकारी कंपनी इफको ने बाजार में अभिनव नैनो यूरिया पेश किया है। इसका वाणिज्यिक उत्पादन एक अगस्त, 2021 को गुजरात के कलोल में इफको के संयंत्र से शुरू हुआ।
इफको के साथ-साथ दो अन्य कंपनियों आरसीएफ और एनएफएल द्वारा सात और नैनो यूरिया संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। इफको ने नैनो यूरिया प्रौद्योगिकी को इन दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मुफ्त में हस्तांतरित किया है।
नैनो यूरिया के उपयोग से किसानों की आय में औसतन 4,000 रुपये प्रति एकड़ की वृद्धि का अनुमान है।
नैनो यूरिया के उपयोग से परिवहन लागत कम होगी और छोटे किसानों को अत्यधिक लाभ होगा।
कुल उर्वरक सब्सिडी बिल के संदर्भ में अधिकारी ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के 1.62 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर चालू वित्तवर्ष में इसके लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है।
चालू वित्तवर्ष में अकेले यूरिया पर करीब 70,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दिये जाने का अनुमान है। यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 267 रुपये प्रति बोरी (45 किलोग्राम) है, जबकि सब्सिडी प्रति बोरी 2,300 रुपये है।
इफको नैनो यूरिया को 240 रुपये प्रति बोतल (500 मिलीलीटर) की दर से बेच रही है।


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PTI News Agency

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