न्यायालय ने उप्र, हरियाणा पुलिस पर उत्पीड़न के आरोप से जुड़ी याचिका पर विचार करने से इनकार किया
punjabkesari.in Thursday, Jun 30, 2022 - 09:16 PM (IST)
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा की पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाने और अपने परिवार के सदस्यों की जान-माल की सुरक्षा का अनुरोध करने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले का रहने वाला है और वर्तमान में दिल्ली में रह रहा है, उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
पीठ ने कहा, “यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत किसी याचिका पर विचार करने के लिए एक उपयुक्त मामला नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता हमेशा भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 का सहारा लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।”
शीर्ष अदालत ने बुधवार को पारित अपने आदेश में कहा, “अगर याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, तो हमें यकीन है कि उच्च न्यायालय इस मामले को जल्द से जल्द देखेगा...रिट याचिका का निपटारा किया जाता है।”
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके एक बेटे पर हरियाणा के जींद जिले की रहने वाली एक महिला के अपहरण का आरोप है और इस संबंध में फरीदाबाद में शिकायत दर्ज कराई गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि महिला के चाचा प्रभावशाली हैं और "सत्तारूढ़ दल" से जुड़े हैं तथा उन्होंने याचिकाकर्ता और उनके परिवार को उनके घर को गिराने की गंभीर धमकी दी है।
इसने यह भी दावा किया कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार पर पुलिस अत्याचार "अल्पसंख्यक के नाम पर उत्पीड़न" के अलावा कुछ और नहीं है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि न तो उसे और न ही उसके परिवार के सदस्यों को उसके बेटे, जिसके खिलाफ अपहरण का आरोप लगाया गया है, और कथित तौर पर लापता महिला के बारे में कुछ पता नहीं है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले का रहने वाला है और वर्तमान में दिल्ली में रह रहा है, उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
पीठ ने कहा, “यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत किसी याचिका पर विचार करने के लिए एक उपयुक्त मामला नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता हमेशा भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 का सहारा लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।”
शीर्ष अदालत ने बुधवार को पारित अपने आदेश में कहा, “अगर याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, तो हमें यकीन है कि उच्च न्यायालय इस मामले को जल्द से जल्द देखेगा...रिट याचिका का निपटारा किया जाता है।”
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके एक बेटे पर हरियाणा के जींद जिले की रहने वाली एक महिला के अपहरण का आरोप है और इस संबंध में फरीदाबाद में शिकायत दर्ज कराई गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि महिला के चाचा प्रभावशाली हैं और "सत्तारूढ़ दल" से जुड़े हैं तथा उन्होंने याचिकाकर्ता और उनके परिवार को उनके घर को गिराने की गंभीर धमकी दी है।
इसने यह भी दावा किया कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार पर पुलिस अत्याचार "अल्पसंख्यक के नाम पर उत्पीड़न" के अलावा कुछ और नहीं है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि न तो उसे और न ही उसके परिवार के सदस्यों को उसके बेटे, जिसके खिलाफ अपहरण का आरोप लगाया गया है, और कथित तौर पर लापता महिला के बारे में कुछ पता नहीं है।
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