महाराष्ट्र में केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि शिवसेना को कमजोर करने की योजना है: भाजपा नेता का दावा
punjabkesari.in Saturday, Jun 25, 2022 - 06:12 PM (IST)

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) भाजपा को महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश करने की कोई जल्दी नहीं है, बल्कि वह तब तक इंतजार करेगी जब तक कि शिवसेना में बगावत के शोर का नकारात्मक असर नगर निगम और नगर निकाय स्तर पर उसकी ताकत पर ना दिखने लगे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने यह दावा किया।
इस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि महाराष्ट्र में मौजूदा सत्ता संघर्ष केवल राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं है, बल्कि शिवसेना के समर्थकों को अपने पक्ष में करके हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में भाजपा का एक ठोस प्रयास है।
भाजपा नेता ने आगे कहा कि इस दिशा में पहला कदम शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों को बनाए रखने का संकल्प लेकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के खेमे को मजबूत करना है, ताकि उनकी तरफ से अधिकतम बागी विधायकों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे के ‘विश्वासघात’ से भाजपा बेहद परेशान थी, जब उन्होंने दशकों पुराने भगवा गठबंधन को तोड़ते हुए राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिलाया था।
उन्होंने कहा कि शिवसेना में दरार महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गठन के समय से है, लेकिन इसकी अंतिम बानगी 20 जून को विधान परिषद चुनाव की मतगणना के दौरान देखने को मिली। भाजपा और एमवीए सहयोगियों द्वारा उठाई गई कुछ आपत्तियों और जवाबी आपत्तियों पर सोमवार शाम को कुछ घंटों के लिए मतगणना रुकने पर शिवसेना नेताओं को कुछ गड़बड़ होने का अहसास हुआ।
शिंदे ने बागी विधायकों के शुरुआती समूह का नेतृत्व किया और उन्हें गुजरात ले गये, जिससे शिवसेना में तोड़फोड़ की योजना को गति मिली। शिंदे के नाराज होने का एक प्रमुख कारण उनके पास मौजूद शहरी विकास विभाग पर मुख्यमंत्री और उनके विश्वासपात्रों का कड़ा नियंत्रण था।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर महाराष्ट्र भाजपा के नेता चुप्पी साधे हुए हैं। पिछले कुछ दिनों में शिंदे खेमे में बागी विधायकों की संख्या बढ़ गई है, जिससे एमवीए सरकार के बने रहने पर सवाल उठ रहे हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
इस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि महाराष्ट्र में मौजूदा सत्ता संघर्ष केवल राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं है, बल्कि शिवसेना के समर्थकों को अपने पक्ष में करके हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में भाजपा का एक ठोस प्रयास है।
भाजपा नेता ने आगे कहा कि इस दिशा में पहला कदम शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों को बनाए रखने का संकल्प लेकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के खेमे को मजबूत करना है, ताकि उनकी तरफ से अधिकतम बागी विधायकों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे के ‘विश्वासघात’ से भाजपा बेहद परेशान थी, जब उन्होंने दशकों पुराने भगवा गठबंधन को तोड़ते हुए राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिलाया था।
उन्होंने कहा कि शिवसेना में दरार महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गठन के समय से है, लेकिन इसकी अंतिम बानगी 20 जून को विधान परिषद चुनाव की मतगणना के दौरान देखने को मिली। भाजपा और एमवीए सहयोगियों द्वारा उठाई गई कुछ आपत्तियों और जवाबी आपत्तियों पर सोमवार शाम को कुछ घंटों के लिए मतगणना रुकने पर शिवसेना नेताओं को कुछ गड़बड़ होने का अहसास हुआ।
शिंदे ने बागी विधायकों के शुरुआती समूह का नेतृत्व किया और उन्हें गुजरात ले गये, जिससे शिवसेना में तोड़फोड़ की योजना को गति मिली। शिंदे के नाराज होने का एक प्रमुख कारण उनके पास मौजूद शहरी विकास विभाग पर मुख्यमंत्री और उनके विश्वासपात्रों का कड़ा नियंत्रण था।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर महाराष्ट्र भाजपा के नेता चुप्पी साधे हुए हैं। पिछले कुछ दिनों में शिंदे खेमे में बागी विधायकों की संख्या बढ़ गई है, जिससे एमवीए सरकार के बने रहने पर सवाल उठ रहे हैं।
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