उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर भारतीय विमानों पर अंकित ‘वीटी’ बदलने का अनुरोध

punjabkesari.in Thursday, Jun 23, 2022 - 05:45 PM (IST)

नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय में बृहस्पतिवार को एक याचिका दायर कर भारतीय विमानों पर अंकित संकेत अक्षर ‘वीटी’ को बदलने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि ये अक्षर ‘विक्टोरियन टेरिटॉरी’ (महारानी विक्टोरिया का क्षेत्र) और ‘वायसराय टेरिटॉरी’ (वायसराय का क्षेत्र) को व्यक्त करते हैं, जो ब्रिटिश राज की विरासत है।

याचिका में कहा गया कि संकेत अक्षर या पंजीकरण ‘कोड’ किसी विमान की पहचान के लिए होते हैं और ‘वीटी’ राष्ट्रीयता का प्रतीक अक्षर है जो भारत में पंजीकृत होने वाले प्रत्येक विमान को अंकित कराना होता है।
याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को भारतीय विमानों पर अंकित संकेत अक्षर ‘वीटी’ बदलने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है, ताकि भारत की संप्रभुता और संविधान के तहत प्रदत्त भारतीय नागरिकों की गरिमा की रक्षा की जा सके।
याचिका में कहा गया है कि चीन, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों ने आजादी के तत्काल बाद अपने विमानों पर अंकित ये संकेत अक्षर बदल दिये थे।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘ये अक्षर विमान के पिछले दरवाजे से ठीक पहले और खिड़कियों के नीचे अंकित नजर आते हैं। सभी घरेलू एयरलाइन पर ये अक्षर लिखे होते हैं, जिनके बाद अंग्रेजी वर्णमाला के कुछ अक्षर अंकित होते हैं जो विमान को परिभाषित करता है और यह बताता है कि यह किससे संबद्ध है।’’
याचिका में कहा गया है, ‘‘उदाहरण के लिए इंडिगो की उड़ानों पर पंजीकरण वीटी के बाद आईडीवी(वीटी-आईडीवी) और जेट पर वीटी-जेएमवी लिखा होता है।’’
इसमें कहा गया है कि ये अक्षर यह बताते हैं कि विमान का पंजीकरण उक्त देश में हुआ है और यह सभी देशों में अनिवार्य है। साथ ही, विमान का पंजीकरण इसके पंजीकरण प्रमाणपत्र में मौजूद होना जरूरी है तथा किसी विमान का किसी एक अधिकार क्षेत्र में एक ही पंजीकरण हो सकता है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘भारतीय विमानों की पंजीकरण संख्या ‘ब्रिटिश राज’ की विरासत का प्रतीक है। ‘वीटी’ कोड औपनिवेशक शासन को प्रदर्शित करता है। भारत एक संप्रभु राष्ट्र है इसलिए यह वायसराय का क्षेत्र नहीं हो सकता। भारत वीटी कोड को क्यों जारी रखे हुए है? पंजीकरण कोड बदलने की सरकार की कोशिशें नाकाम हो गई हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘2004 में नागर विमानन मंत्रालय ने कोड बदलने के लिए इंटरनेशनल सिविल एविएशन आर्गेनाइजेशन का रुख किया था, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं किया गया है। यह कोड हमें 1929 में ब्रिटिश शासकों ने दिया था, जो हमें ब्रिटिश क्षेत्र बताता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 75 साल बाद भी भारत गुलामी के प्रतीक ‘वीटी’ कोड को बरकरार रखे हुए है।’’
याचिकाकर्ता ने याचिका में गृह मंत्रालय, वित्त, विदेश, नागर विमानन और कानून एवं न्याय मंत्रालयों को पक्षकार बनाया है।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News