सीबीआई ने चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने में मदद के आरोप में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ मामला दर्ज किया

punjabkesari.in Tuesday, May 17, 2022 - 08:09 PM (IST)

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बिजली कंपनी के लिए 263 चीनी नागरिकों को वीजा प्राप्त करने में सहायता करने के 11 साल पुराने एक आरोप की जांच को लेकर लोकसभा सदस्य कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि कार्ति पर 2011 में 50 लाख रुपये की रिश्वत लेकर चीनी नागरिकों को वीजा दिलवाने का आरोप है। उस समय कार्ति के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।

अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आज सुबह सीबीआई के दल ने दिल्ली और चेन्नई में चिदंबरम पिता-पुत्र के आवास समेत देश के कई शहरों में 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।


उन्होंने कहा कि 14 मई को एजेंसी द्वारा कार्ति, उनके करीबी सहयोगी एस भास्कररमन, तलवंडी साबो बिजली परियोजना के तत्कालीन सहायक उपाध्यक्ष विकास मखारिया (जिसने कथित तौर पर रिश्वत दी), तलवंडी साबो प्राइवेट लिमिटेड (टीएसपीएल), मुंबई स्थित बेल टूल्स लिमिटेड (जिसके मार्फत कथित तौर पर रिश्वत पहुंचाई गई) के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के बाद यह छापेमारी की गई।

सीबीआई ने प्राथमिकी में “अज्ञात लोक सेवक(सेवकों) और निजी व्यक्ति (व्यक्तियों)” को छठे आरोपी के तौर पर सूचीबद्ध किया है। एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी में कहा कि “…यह मानने के कारण हैं कि तत्कालीन गृह सचिव (आर के सिंह) और गृह मंत्री (पी चिदंबरम) को टीएसपीएल के मामले और उनके जरिये हुए टीएसपीएल के काम की जानकारी थी लेकिन अभी इस स्थिति में यह सुनिश्चित नहीं है कि तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम और गृह सचिव को रिश्वत की मांग और उसकी अदायगी की जानकारी थी या नहीं”।


सिंह 30 जून 2011 से 30 जून 2013 तक गृह सचिव थे और सेवानिवृत्ति के बाद वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। फिलहाल वह केंद्रीय मंत्री थे।

मंगलवार को चेन्नई और मुंबई में कई स्थानों पर तथा कोप्पल (कर्नाटक), झारसुगुड़ा (ओडिशा), मनसा (पंजाब) और दिल्ली में मारे गए।

कार्ति ने सीबीआई छापों के तुरंत बाद इस बारे में विस्तृत जानकारी दिए बिना ट्वीट किया, ‘‘ अब तो मैं गिनती भी भूल गया हूं कि कितनी बार ऐसा हुआ है? शायद यह एक रिकॉर्ड होगा। ’’

बाद में उन्होंने और ट्वीट कर कहा कि उनके कार्यालय ने उन्हें छापों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “मेरे कार्यालय ने अभी ‘रिकॉर्ड’ के बारे में अद्यतन जानकारी दी है, 2015 में दो बार, 2017 में एक बार, 2018 में दो बार और आज, छह!”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हिंदी और अंग्रेजी में किए गए अपने ट्वीट में कहा कि सीबीआई के एक दल ने चेन्नई स्थित उनके निवास और दिल्ली में आधिकारिक आवास पर छापेमारी की।


उन्होंने कहा, ‘‘ सीबीआई के दल ने मुझे एक प्राथमिकी दिखाई, जिसमें मेरा नाम आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं था। छापेमारी में कुछ नहीं मिला और कुछ भी जब्त नहीं किया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस बात की ओर ध्यान जरूर दिलाना चाहूंगा कि छापेमारी का समय दिलचस्प है।’’ हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि छापेमारी के “समय” से उनका क्या आशय है।


उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की पड़ताल के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई। अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम ने संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान वेदांता समूह की कंपनी टीएसपीएल के लिए जुलाई-अगस्त 2011 में चीन के 263 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए भास्कररमन के जरिए 50 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। उस समय पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।


तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा, “पंजाब में हमारे प्रतिष्ठान की तलाशी सीबीआई की व्यापक जांच का हिस्सा है। हम अधिकारियों को पूरा सहयोग दे रहे हैं और उचित प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। हमें और कोई टिप्पणी नहीं करनी है।”

सीबीआई को संदिग्ध लेन-देन दर्शाने वाले कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसके आधार पर एजेंसी ने इस साल सात मार्च को प्रारंभिक जांच दर्ज की थी।


एजेंसी ने आरोप लगाया है कि पंजाब स्थित टीएसपीएल 1980 मेगावाट का ताप बिजली संयंत्र स्थापित कर रही थी और यह काम एक चीनी कंपनी शेडोंग इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प (एसईपीसीओ) को ठेके पर दिया गया था।


सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने एक बयान में कहा कि परियोजना निर्धारित समय से पीछे चल रही थी और कंपनी पर जुर्माना लगने की तलवार लटक रही थी।


जोशी ने कहा, “देरी के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) जिला मानसा (पंजाब) में अपनी साइट के लिए अधिक से अधिक चीनी व्यक्तियों और पेशेवरों को लाने की कोशिश कर रही थी और उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक परियोजना वीजा की आवश्यकता थी।”

अधिकारियों ने कहा कि प्रारंभिक जांच करने वाले जांच अधिकारी के निष्कर्षों को शामिल कररते हुए सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि मखारिया ने कार्ति के करीबी सहयोगी भास्कररमन के जरिए उससे संपर्क किया।


जोशी ने कहा, “उन्होंने उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 प्रोजेक्ट वीजा के पुन: उपयोग की अनुमति देकर सीलिंग (कंपनी के संयंत्र के लिए अनुमेय परियोजना वीजा की अधिकतम संख्या) के उद्देश्य को विफल करने के लिए ‘पिछले दरवाजे’ का रास्ता तैयार किया।”

अधिकारियों ने कहा कि मखारिया ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय को 30 जुलाई 2011 में एक पत्र सौंपा जिसमें इस कंपनी को आवंटित परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के लिए मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और कंपनी को अनुमति जारी कर दी गई थी।


प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि परियोजना वीजा 2010 में बिजली और इस्पात क्षेत्र के लिए पेश किए गए विशेष प्रकार के वीजा थे, जिसके लिए चिदंबरम के गृह मंत्री रहने के दौरान विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए थे, लेकिन परियोजना वीजा को फिर से जारी करने का कोई प्रावधान नहीं था।


प्राथमिकी में आरोप लगाया गया. “प्रचलित दिशानिर्देशों के अनुसार, दुर्लभ और असाधारण मामलों में रियायत पर विचार किया जा सकता है और केवल गृह सचिव की मंजूरी पर ही अनुमति दी जा सकती है। हालांकि, उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए, परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के मामले में तत्कालीन गृह मंत्री के अनुमोदन पर रियायत दिए जाने की आशंका है।”

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया, “17 अगस्त, 2011 को भास्कररमन के निर्देश पर मखारिया ने 30 जुलाई, 2011 के पत्र की एक प्रति उन्हें ई-मेल के माध्यम से भेजी जिसे कार्ति को आगे बढ़ा दिया गया,...भास्कररमन ने तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम के साथ चर्चा के बाद स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिये 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी।”

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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