मांडविया का दावा, खरीफ सत्र में नहीं होगी उर्वरकों की कमी
punjabkesari.in Tuesday, May 17, 2022 - 06:38 PM (IST)
नई दिल्ली, 17 मई (भाषा) रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने दावा किया है कि आगामी खरीफ सत्र में महत्वपूर्ण उर्वरकों की कोई कमी नहीं होगी।
उन्होंने मंगलवार को कहा कि सरकार ने पहले ही पर्याप्त मात्रा में डीएपी आपूर्ति का इंतजाम कर रखा है तथा पोटाश एवं फॉस्फेटिक उर्वरकों के आयात के लिए जॉर्डन के साथ दीर्घकालिक समझौता भी किया है।
पिछले सप्ताह भारत और जॉर्डन की कंपनियों के बीच डीएपी बनाने में इस्तेमाल होने वाले 30 लाख टन रॉक फॉस्फेट, तीन लाख टन पोटाश, 2.50 लाख टन डीएपी और एक लाख टन फॉस्फोरिक एसिड की वार्षिक आपूर्ति अगले पांच साल तक करने के लिए एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत ने बहुत पहले से खरीफ सत्र के लिए आवश्यक 30 प्रतिशत डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का इंतजाम कर लिया था और कंपनियों से वैश्विक बाजार से उच्च दरों पर खरीदारी नहीं करने को भी कहा गया था। मंत्री ने दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतों में कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी का दाम 1,030 डॉलर प्रति टन से घटकर 920 डॉलर प्रति टन रह गया है।
मांडविया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर उर्वरक का संकट है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा उर्वरक आयातक देश है और उसे कम दरों पर आपूर्ति मिलनी चाहिए ... कई देशों में उर्वरक को ‘राशन’ की तरह दिया जाता है। हमने ऐसा नहीं किया है। हमने खरीफ सत्र के दौरान उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख उर्वरकों की अग्रिम खरीद की है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने मंगलवार को कहा कि सरकार ने पहले ही पर्याप्त मात्रा में डीएपी आपूर्ति का इंतजाम कर रखा है तथा पोटाश एवं फॉस्फेटिक उर्वरकों के आयात के लिए जॉर्डन के साथ दीर्घकालिक समझौता भी किया है।
पिछले सप्ताह भारत और जॉर्डन की कंपनियों के बीच डीएपी बनाने में इस्तेमाल होने वाले 30 लाख टन रॉक फॉस्फेट, तीन लाख टन पोटाश, 2.50 लाख टन डीएपी और एक लाख टन फॉस्फोरिक एसिड की वार्षिक आपूर्ति अगले पांच साल तक करने के लिए एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत ने बहुत पहले से खरीफ सत्र के लिए आवश्यक 30 प्रतिशत डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का इंतजाम कर लिया था और कंपनियों से वैश्विक बाजार से उच्च दरों पर खरीदारी नहीं करने को भी कहा गया था। मंत्री ने दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतों में कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी का दाम 1,030 डॉलर प्रति टन से घटकर 920 डॉलर प्रति टन रह गया है।
मांडविया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर उर्वरक का संकट है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा उर्वरक आयातक देश है और उसे कम दरों पर आपूर्ति मिलनी चाहिए ... कई देशों में उर्वरक को ‘राशन’ की तरह दिया जाता है। हमने ऐसा नहीं किया है। हमने खरीफ सत्र के दौरान उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख उर्वरकों की अग्रिम खरीद की है।
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