जागरुकता के प्रसार से जनसंख्या नियंत्रण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा : मांडविया

punjabkesari.in Friday, Apr 01, 2022 - 06:14 PM (IST)

नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को कहा कि देश के बेहतर विकास के लिए परिवार छोटा होना चाहिए तथा जनसंख्या स्थिर होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी भरोसा जताया कि जागरुकता के प्रसार से जनसंख्या नियंत्रण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने को लेकर राज्यसभा में लाए गए एक निजी विधेयक पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए मंडाविया ने कहा ‘‘देश में आज बेहतर स्वास्थ्य उपचार की सुविधा दी जा रही है, देश बदल रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नया इंडिया बन रहा है।’’
यह निजी विधेयक भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध एक मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा का था।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह सही है कि बढ़ती जनसंख्या कई समस्याओं का कारण होती है लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि शिक्षा तथा जागरुकता के प्रसार से जनसंख्या नियंत्रण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।

मंडाविया ने कहा कि देश में प्रजनन दर दो प्रतिशत तक पहुंच गयी है तथा 2025 तक इसे और कम करने की ओर देश आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या वृद्धि की दर में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि 1971 में जनसंख्या वृद्धि दर 2.20 प्रतिशत थी जो 2011 में यह घटकर 1.64 प्रतिशत हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक अच्छी सफलता है। जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उससे स्पष्ट है कि उसमें काफी गिरावट आई है।’’
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश में जनसंख्या नीति 1952 से है और अब तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो प्रयास किए गए उसके सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर जीवन स्तर के लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है।

मंत्री ने कहा ‘‘ऐसे प्रयास करना चाहिए जिससे जनता स्वयं परिवार नियोजन को अपनाए। इसके लिए कानून जरूरी नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि पहले जब बच्चे अधिक होते थे तब बाल मृत्यु दर भी अधिक थी। लेकिन समय के साथ इस स्थिति में बदलाव हुआ। इसके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं तक लोगों की पहुंच जरूरी थी और यह किया गया।

उन्होंने कहा कि इसके लिए 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लाई गई जिसके तहत कई कदम उठाए गए। उन्होंने कहा, ‘‘आयुष्मान भारत योजना चलाई गई। इसके तहत गरीबों को पांच लाख रुपये तक के नि:शुल्क इलाज की सुविधा दी गई और तीन करोड़ से अधिक लोगों ने इसका फायदा उठाया।’’
मंडाविया ने कहा कि दूर दूर के गांवों के लोगों को स्वास्थ्य की देखभाल के लिए समुचित सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए 2014 के बाद मेडिकल कालेजों की सीटें 52 लाख से बढ़ा कर 92 लाख की गईं तथा इनमें अभी और वृद्धि होगी। इसी प्रकार स्नातकोत्तर स्तर पर की सीटें 30 हजार से बढ़ कर 60 हजार की गईं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि तय किया गया कि देश में डेढ़ लाख से अधिक ‘‘हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर’’ हों जहां संजीवनी प्लेटफॉर्म में 13 प्रकार की जांच हो तथा टेलीमेडिसिन की भी व्यवस्था हो। उन्होंने बताया कि एक लाख दस हजार ऐसे सेंटर देश में शुरु हो चुके हैं तथा शेष जल्द ही शुरू होंगे।

उन्होंने कहा कि ‘‘फ्री डाइग्नोस्टिक सेंटर’’ भी शुरु किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत देश में 15,528 ऐसी एंबुलेंस हैं जो गांव से या सुदूर स्थित जगहों से मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाती हैं और कुल 5975 विशेषज्ञ डाक्टर इसके तहत कार्य कर रहे हैं।

मंत्री के अनुसार, इसके अलावा स्वास्थ्य के बारे में व्यापक स्तर पर जागरुकता फैलाने के लिए कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से किए गए उपायों की विस्तार से जानकारी देते हुए मांडविया ने कहा कि परिवार छोटा होना चाहिए, जनसंख्या स्थिर होनी चाहिए और जागरुकता के प्रसार से जनसंख्या नियंत्रण के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।

उन्होंने राकेश सिन्हा से यह विधेयक वापस लेने की अपील की। उनकी इस अपील को स्वीकार करते हुए सिन्हा ने बाद में विधेयक को वापस ले लिया।

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