सिद्धू ने अवैध रेत खनन में शामिल कांग्रेस विधायकों का बचाव किया: अमरिंदर

punjabkesari.in Monday, Jan 24, 2022 - 10:16 PM (IST)

चंडीगढ़, 24 जनवरी (भाषा) पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू के रेत खनन माफिया से लड़ने के दावों का मखौल उड़ाते हुए सोमवार को कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने खुद उन विधायकों के साथ मिलकर उनके खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था, जो कथित रूप से गतिविधि में शामिल थे।

एक बयान के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि इससे ‘‘उन्हें प्रश्रय देने में उनका अपना हित’’ स्पष्ट रूप से उजागर होता है।
अमरिंदर सिंह को पिछले साल सितंबर में सिद्धू के साथ सत्ता के टकराव के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

बाद में, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर ने पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया और अब भाजपा के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि यह देखते हुए कि सिद्धू के नेतृत्व में उनके खिलाफ बगावत करने वाले कांग्रेस के कई विधायकों का "राज्य के रेत माफिया में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हित या हिस्सा था", इस मामले में पूर्व क्रिकेटर की साख "स्पष्ट रूप से संदिग्ध" है। अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘साथ ही, यह भी तथ्य है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष की राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ नजदीकियां हैं, जिसमें पाकिस्तान के नेतृत्व में उनके करीबी मित्र भी शामिल हैं, जिसने उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कराने के लिए पैरवी भी की थी, इसने सिद्धू के स्वार्थ और पंजाब के हितों के प्रति उनकी उदासीनता को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।’’
अमरिंदर ने सिद्धू के इस आरोप को खारिज किया कि वह मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने न केवल सभी संभव प्रशासनिक कदम उठाए थे, बल्कि उन्होंने विशेष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष से कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देश भी मांगे थे।
अमरिंदर सिंह ने सवाल किया कि उन्हें इस तरह की कार्रवाई करने के लिए आवश्यक निर्देश क्यों नहीं दिया गया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पंजाब कांग्रेस के वे विधायक, जिनके संबंध के बारे में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को बताया था, वे ‘‘ उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए पार्टी नेतृत्व के साथ सीधे संपर्क में थे।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस बात ने उन्हें चौंका दिया था, वह यह था कि सिद्धू के समर्थन वाले इन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें बर्खास्त करने का फैसला किया था।

सिंह ने कहा कि कांग्रेस छोड़ने के बाद भी उनके खिलाफ सिद्धू के "लगातार और निराधार हमले" यह दिखाते हैं कि पंजाब कांग्रेस प्रमुख कितने "असुरक्षित" थे।

सिंह ने दावा किया कि पंजाब में उनके राजनीतिक दबदबे और महत्व को कमतर करने की अपनी हताशा में, सिद्धू अपनी पार्टी इकाई को भी भूल गए थे, जो ‘‘अंदरूनी कलह के चलते पूरी तरह से अव्यवस्था’’ की स्थिति में थी। सिंह ने दावा किया कि सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब में कांग्रेस का ‘‘सफाया’’ सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।



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