गणतंत्र दिवस परेड में लोक अदालत को दर्शाती नजर आएगी राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की झांकी
punjabkesari.in Sunday, Jan 23, 2022 - 03:59 PM (IST)

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) पहली बार, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की झांकी 26 जनवरी को यहां राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होगी। झांकी में लोक अदालत को दर्शाया जाएगा।
अधिकारियों ने कहा कि कानून मंत्रालय (एनएएलएसए) की झांकी का विषय “एक मुट्ठी आसमान (समावेशी कानूनी प्रणाली): लोक अदालत” है। उन्होंने कहा कि झांकी के सामने के हिस्से में ''न्याय सबके लिए'' के साथ हाथ का एक भाव दिखाया गया है, जो निडरता, गारंटी और सुरक्षा का प्रतीक है।
झांकी के पिछले हिस्से में एक हाथ को एक-एक करके अपनी पांच अंगुलियों को खोलते हुए देखा जा सकता है, जिसमें लोक अदालतों के पांच मार्गदर्शक सिद्धांतों - सभी के लिए सुलभ, निश्चित, किफायती, न्यायसंगत और समय पर न्याय- को दर्शाया गया है।
अदालत के बाहर सुलह की भावना से कानूनी विवादों को हल करने के लिए ‘लोक अदालत’ वैकल्पिक विवाद समाधान का एक अभिनव और लोकप्रिय तंत्र है। यह कम से कम समय में विवादों को निपटाने के लिए एक सरल और अनौपचारिक प्रक्रिया का पालन करती है।
लोक अदालत का आदेश अंतिम और गैर-अपीलीय है। 2021 में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालतों के दौरान 1,27,87,329 प्रकरणों का निराकरण किया गया।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि कानून मंत्रालय (एनएएलएसए) की झांकी का विषय “एक मुट्ठी आसमान (समावेशी कानूनी प्रणाली): लोक अदालत” है। उन्होंने कहा कि झांकी के सामने के हिस्से में ''न्याय सबके लिए'' के साथ हाथ का एक भाव दिखाया गया है, जो निडरता, गारंटी और सुरक्षा का प्रतीक है।
झांकी के पिछले हिस्से में एक हाथ को एक-एक करके अपनी पांच अंगुलियों को खोलते हुए देखा जा सकता है, जिसमें लोक अदालतों के पांच मार्गदर्शक सिद्धांतों - सभी के लिए सुलभ, निश्चित, किफायती, न्यायसंगत और समय पर न्याय- को दर्शाया गया है।
अदालत के बाहर सुलह की भावना से कानूनी विवादों को हल करने के लिए ‘लोक अदालत’ वैकल्पिक विवाद समाधान का एक अभिनव और लोकप्रिय तंत्र है। यह कम से कम समय में विवादों को निपटाने के लिए एक सरल और अनौपचारिक प्रक्रिया का पालन करती है।
लोक अदालत का आदेश अंतिम और गैर-अपीलीय है। 2021 में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालतों के दौरान 1,27,87,329 प्रकरणों का निराकरण किया गया।
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