न्यायालय के फैसले के बावजूद देवास के शेयरधारक विदेश में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने पर अडिग

punjabkesari.in Sunday, Jan 23, 2022 - 03:00 PM (IST)

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन को सही ठहराने के फैसले से प्रभावित हुए बिना कंपनी के शेयरधारक 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर हासिल करने के लिए विदेश में भारत सरकार की संपत्तियों को जब्त करने की मांग जारी रखेंगे। देवास मल्टीमीडिया के वकील ने यह बात कही।
हालांकि, उन्होंने कहा कि कंपनी मुद्दे को बातचीत के जरिये सुलझाने के लिए तैयार है। गौरतलब है कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने उपग्रह स्पेक्ट्रम उपयोग का अनुबंध रद्द किए जाने के मामले में देवास मल्टीमीटिया को हर्जाना देने का आदेश दिया है।

गिब्सन, डन एंड क्रचर के पार्टनर और देवास के शेयरधारकों के वकील मैथ्यू डी मैकगिल ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के फैसले से कुछ भी नहीं बदला है। नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय अदालतें तथ्यों को फिर से नहीं लिख सकती हैं। धोखाधड़ी के उनके ‘तुच्छ’ आरोप भारत के बाहर की अदालतों में कभी नहीं टिकेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार के लिए बातचीत की मेज पर लौटना और समझौता वार्ता को जारी रखना ही बेहतर होगा।’’
देवास मल्टीमीडिया के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम पहले ही भारत सरकार की करोड़ों डॉलर की संपत्ति को जब्त करने का आदेश हासिल कर चुके हैं। जब तक भारत भरोसे के साथ बातचीत की मेज पर नहीं लौटता, हम संपत्तियों की पहचान करना और उन्हें जब्त करना जारी रखेंगे।’’
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘मोदी सरकार की रणनीति को समझना आसान है। वे दुनिया भर में देवास पर हमला करने के लिए शीर्ष अदालत के फैसले का उपयोग करेंगे, हालांकि, हम तैयार हैं।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते दिनों कहा था कि सरकार देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन को सही ठहराने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के आधार पर विदेशों में अपनी परिसंपत्तियों की जब्ती को चुनौती देगी।

उन्होंने उच्चतम न्यायालय के 17 जनवरी को आए फैसले के कुछ अंश उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘यह कांग्रेस का कांग्रेस के लिए और कांग्रेस द्वारा किया गया फरेब है।’’ इस फैसले में देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन के आदेश को इस आधार पर बरकरार रखा गया है कि इसे धोखाधड़ी से अंजाम दिया गया था।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान वर्ष 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स और देवास के बीच स्पेक्ट्रम उपयोग को लेकर करार हुआ था। इसके जरिये मोबाइल फोनधारकों को मल्टीमीडिया सेवाएं मुहैया कराई जानी थी।

सीतारमण ने दावा किया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की जानकारी के बगैर ही एंट्रिक्स को इस सौदे के तहत एस-बैंड के स्पेक्ट्रम देने पर हामी भरी गई थी। उन्होंने कहा कि विवाद बढ़ने पर संप्रग सरकार ने छह साल बाद इस सौदे को निरस्त किया लेकिन देवास की तरफ से शुरू की गई मध्यस्थता कार्यवाही से निपटने की कोशिश नहीं की।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार अब करदाताओं के पैसे बचाने के लिए हर अदालत में लड़ रही है अन्यथा यह राशि मध्यस्थता फैसले के भुगतान में चली जाती, जो देवास ने सौदे को रद्द करने पर जीता है।’’
उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब देवास के शेयरधारकों ने 1.29 अरब डॉलर की वसूली के लिए विदेशों में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। देवास को इस धनराशि की भरपाई का आदेश अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरणों ने दिया था।

देवास को पेरिस में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के लिए फ्रांसीसी अदालत ने आदेश दिया है और वह कनाडा में भी एयर इंडिया की संपत्ति जब्त करने की मांग कर रही है।

यह सौदा 2011 में इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी धोखाधड़ी में हुई थी और सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य सामाजिक उद्देश्यों के लिए एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम की जरूरत थी।

इसके बाद देवास मल्टीमीडिया ने इंटरनेशनल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) में फैसले के खिलाफ मध्यस्थता कार्रवाई शुरू की। इसके अलावा देवास के निवेशकों द्वारा दो अन्य मध्यस्थता कार्रवाई भी शुरू की गईं। भारत को तीनों मामलों में हार का सामना करना पड़ा और नुकसान की भरपाई के लिए कुल 1.29 अरब डॉलर का भुगतान करने को कहा गया।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News

Related News