ईडी ने दिल्ली में पेशी के लिए समन के खिलाफ टीएमसी सांसद की अर्जी का अदालत में किया विरोध

punjabkesari.in Friday, Jan 21, 2022 - 08:35 PM (IST)

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी के इस दावे का विरोध किया कि उन्हें पश्चिम बंगाल में एक कथित कोयला घोटाले से जुड़े धनशोधन जांच के सिलसिले में केवल कोलकाता में ही समन किया जा सकता है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर से कहा कि मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मुख्यालय जांच इकाई (एचआईयू) द्वारा की जा रही है, जिसका अखिल भारतीय अधिकार क्षेत्र है और गत वर्ष दिल्ली में पेश होने के लिए समन को चुनौती देने वाली याचिका विचार योग्य नहीं है।

अधिवक्ता ने कहा, ‘‘क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार की कोई (अवधारणा) नहीं है। यहां तक ​​कि आंतरिक दिशा-निर्देशों, प्रशासनिक निर्देशों के अनुसार, जहां तक ​​मुख्यालय का संबंध है, कोई क्षेत्रीय बाधा नहीं है.. एचआईयू का अखिल भारतीय क्षेत्राधिकार है। यदि एचआईयू के पास अखिल भारतीय अधिकार क्षेत्र है, तो वे समन को चुनौती नहीं दे सकते।’’
उन्होंने याचिकाकर्ताओं के इस दावे पर भी आपत्ति जतायी कि वे कोलकाता के निवासी हैं और कहा कि निश्चित रूप से दिल्ली का एक पता है, क्योंकि अभिषेक बनर्जी संसद सदस्य हैं और जब संसद सत्र चल रहा होता है, तो वह यहां रहते होंगे।

एएसजी ने कहा, ‘‘हो सकता है कि आप किसी विशेष अवधि के लिए निवासी हों लेकिन आप निवासी हैं। आप इस पते को अपने लेटर पैड पर दिखाते हैं...।’’
राजू ने कहा कि चूंकि जांच करने की एजेंसी की शक्ति पर सवाल नहीं उठाया गया है और याचिकाकर्ता दिल्ली में एजेंसी के सामने पेश हुए हैं, इसलिए उन्होंने इसके अधिकार क्षेत्र को स्वीकार किया है।
उन्होंने दलील दी, ‘‘वह पेश हुए .. उन्होंने कभी विरोध नहीं किया। वह पेश हुए .. उन्होंने अधिकार क्षेत्र को स्वीकार किया...।’’
टीएमसी सांसद ने गत 5 जनवरी को, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के माध्यम से अदालत से कहा था कि ईडी के पास धनशोधन मामले में उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में तलब करने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने दलील दी थी कि उनका मामला यह नहीं है कि धनशोधन कानून के तहत कोई जांच नहीं होनी चाहिए, लेकिन एजेंसी को उनसे पूछताछ करने के लिए कोलकाता आना चाहिए।

सिब्बल ने कहा था कि ईडी, जिसका कोलकाता में एक क्षेत्रीय कार्यालय है, किसी भी व्यक्ति को भारत में किसी भी स्थान पर नहीं बुला सकता है।

पिछले साल ईडी ने दलील दी थी कि बनर्जी और उनकी पत्नी की याचिका समय पूर्व है और सुनवाई योग्य नहीं है। इसने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि धनशोधन के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव हैं और इसकी जांच किसी पुलिस थाने या क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

याचिका में, बनर्जी और उनकी पत्नी ने उन्हें जारी किए गए 10 सितंबर के समन को चुनौती दी है और ईडी को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वे उन्हें दिल्ली में पेश होने के लिए नहीं बुलाएं, क्योंकि वे पश्चिम बंगाल के निवासी हैं। बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं।
दंपति को एजेंसी ने 21 सितंबर को दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से दिल्ली में पेश होने के लिए कहा था। दंपति ने दलील दी है कि वे कोलकाता के निवासी हैं और उन्हें यहां जांच में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

तैंतीस वर्षीय सांसद लोकसभा में डायमंड हार्बर सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव हैं।

उच्च न्यायालय ने पहले इस मामले में बनर्जी और उनकी पत्नी को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।

ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज नवंबर 2020 की उस प्राथमिकी के आधार पर मामला पीएमएलए के प्रावधानों के तहत दर्ज किया था, जिसमें आसनसोल और उसके आसपास के कुनुस्तोरिया और कजोरा इलाकों में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से संबंधित करोड़ों रुपये के कोयला घोटाले का आरोप लगाया गया था।

ईडी ने दावा किया था कि टीएमसी सांसद इस अवैध कारोबार से प्राप्त धन के लाभार्थी थे। उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है।

मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।



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