कोविड के कारण हुई मौत संबंधी मुआवजे का दावा आवेदन तकनीकी कारण से खारिज नहीं किया जाएगा: न्यायालय

punjabkesari.in Thursday, Jan 20, 2022 - 01:07 AM (IST)

नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 के कारण मौत संबंधी दावों की कम संख्या और खारिज किए गए आवेदनों की अधिक संख्या को लेकर केरल और बिहार जैसे कुछ राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए बुधवार को कहा कि पात्र लोगों को अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह कोविड-19 से हुई मौत की बिहार द्वारा बताई संख्या को खारिज करती है। उसने कहा कि ये असली नहीं, बल्कि सरकारी आंकड़े हैं।

पीठ ने बिहार सरकार की ओर से पेश हुए वकील से कहा, ‘‘हमें इस बात पर भरोसा नहीं है कि बिहार में कोविड के कारण केवल 12,000 लोगों की मौत हुई।’’
उसने इस बात पर गौर किया कि तेलंगाना में मात्र 3,993 लोगों की मौत के मामले दर्ज किए गए, जबकि उसे दावों के लिए 28,969 आवेदन मिले और केरल में कोविड-19 के कारण 49,300 लोगों की मौत के मामले दर्ज किए गए, लेकिन मुआवजे का दावा करने वाले मात्र 27,274 आवेदन मिले।

पीठ ने केरल सरकार से कहा, ‘‘केरल में क्या हो रहा है? अन्य राज्यों के विपरीत केरल में कम दावे क्यों किए गए? आपने मौत और उनके संबंध में जानकारी दर्ज की है। राज्य सरकार के अधिकारी मुआवजे के लिए मृतकों के परिवारों और संबंधियों तक क्यों नहीं पहुंच सकते?’’
उसने केरल सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने अधिकारियों के लिए इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करे कि वे उन लोगों के परिजन तक पहुंचे और मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करें, जिनकी मौत कोविड-19 के कारण हुई है और जिनकी मौत दर्ज की गई है।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि तकनीकी कारणों से दावों को खारिज नहीं किया जाना चाहिए और राज्य सरकार के अधिकारियों को दावेदारों तक पहुंचना चाहिए एवं उनकी गलतियों को सुधारना चाहिए।

शीर्ष अदालत अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और कोविड-19 से अपने परिजनों को खोने वाले कुछ लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। मृतकों के परिजनों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी कर रहे हैं। याचिकाओं के जरिए महामारी से मरने वाले लोगों के परिजन के लिए अनुग्रह राशि की मांग की गई है।
पीठ ने कहा कि यदि राज्य दावेदारों की पहचान नहीं कर सकते हैं, तो यह राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण को इस प्रक्रिया में शामिल करेगा जैसे कि 2001 में आए भूकंप के दौरान गुजरात उच्च न्यायालय ने किया था।



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PTI News Agency

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