सामुदायिक रसोई पर याचिका : न्यायालय ने भूख से कोई मौत नहीं होने के बयान का संज्ञान लिया

punjabkesari.in Wednesday, Jan 19, 2022 - 08:46 AM (IST)

नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र के उस बयान पर कड़ा संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया कि किसी भी राज्य ने भुखमरी से मौत की सूचना नहीं दी है। इस पर शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या इसे ‘‘सही बयान’’ के रूप में लिया जाए?
न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र को पूरे देश में सामुदायिक रसोई योजना को लागू करने और इसे संचालित करने के लिए राज्यों को अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के संबंध में एक मॉडल तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि एक भी राज्य ने भुखमरी से मौत का आंकड़ा नहीं दिया। पीठ ने कहा, ‘‘क्या आप यह बयान दे रहे हैं कि देश में अब भूख से कोई मौत नहीं हुई है...क्या हम इसे सही बयान मान सकते हैं।’’
न्यायालय ने कहा कि पांच साल पहले जो हुआ, सरकार उस चश्मे से भुखमरी से होने वाली मौतों के मुद्दे को नहीं देख सकती। वेणुगोपाल ने कहा कि जहां तक कुपोषण का सवाल है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, अखबार में खबर आई थी, जिसमें तमिलनाडु में पांच वर्षीय एक बच्चे की भूख से मौत होने का संदेह था क्योंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पेट में कोई खाना नहीं मिला था।

पीठ ने पूछा, ‘‘आप इसे पांच साल पहले जो हुआ उस चश्मे से नहीं देख सकते। क्या आप यह कहने को तैयार हैं कि आज इस देश में तमिलनाडु के एक मामले को छोड़कर भूख से कोई मौत नहीं हुई है, ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि कुछ समाचार पत्रों में इसकी खबरें आईं। क्या हम इसे एक सही बयान के रूप में ले सकते हैं।’’ वेणुगोपाल ने कहा कि यह राज्यों ने बताया है और अदालत अगर चाहती है तो राज्यों से भुखमरी से होने वाली मौतों पर विवरण मांगे जा सकते हैं।

पीठ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भूख और कुपोषण से निपटने को लेकर सामुदायिक रसोई के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।



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PTI News Agency

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