गोवा के संबंध में पवार की योजना को लेकर फडणवीस, राकांपा नेताओं के बीच जुबानी जंग
punjabkesari.in Wednesday, Jan 19, 2022 - 08:45 AM (IST)
नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) ऐसे में जब राकांपा गोवा में नए सिरे से पैठ बनाने की जुगत में है, शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच एक मौखिक वाकयुद्ध छिड़ गया है।
गोवा में भाजपा के प्रभारी फडणवीस ने तटीय राज्य में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ गठबंधन करने के पवार के प्रयासों का मखौल उड़ाया है। राज्य में विधानसभा चुनाव 14 फरवरी को होना है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई पार्टी अपने नाम में केवल ''राष्ट्रवादी'' जोड़कर राष्ट्रीय स्तर हासिल नहीं कर सकती। हालांकि इसे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कहा जाता है, वास्तव में, पार्टी पश्चिमी महाराष्ट्र तक ही सीमित है।’’
राकांपा नेताओं अजीत पवार, सुप्रिया सुले और नवाब मलिक ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता पर पलटवार किया और उनसे शरद पवार के बारे में बोलते हुए संयम बरतने को कहा।
राकांपा के मुख्य प्रवक्ता मलिक ने फडणवीस को याद दिलाया कि कैसे अनुभवी नेता पवार ने उन्हें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री के रूप में लौटने से रोक दिया था। उन्होंने परोक्ष तौर पर भाजपा नेता के राजनीतिक करियर के खत्म होने की ओर इशारा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘यदि वह इसी तरह बोलना जारी रखेंगे, तो शरद पवार उन्हें काशी के घाट दिखाने से नहीं हिचकिचाएंगे।’’
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले फडणवीस ने घोषणा की थी कि शरद पवार का राजनीतिक युग समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा था, ‘‘शरद पवार जी की राजनीति का दौर खत्म हो गया है। वह (पार्टियां) बनाने और तोड़ने की जिस तरह की राजनीति करते थे, वह अब खत्म हो गया है। ऐसी राजनीति नहीं चलेगी। पीढ़ियां बदल गई हैं, लोग अब ऐसी राजनीति को स्वीकार नहीं करते हैं।’’
2019 के महाराष्ट्र चुनावों के बाद शिवसेना जब भाजपा के साथ गठबंधन से बाहर हो गई थी, फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया था और राकांपा नेता अजीत पवार उपमुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, व्यवस्था मुश्किल से तीन दिनों तक चली थी क्योंकि शरद पवार ने सुनिश्चित किया कि राकांपा का कोई भी विधायक सरकार का समर्थन नहीं करे।
फडणवीस को 80 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और अजित पवार भी राकांपा में लौट आए थे। इसके बाद शरद पवार ने शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस का एक असंभावित गठबंधन बनाया था ताकि विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सके।
फडणवीस ने पूर्व में शरद पवार पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है, हालांकि पवार ने उन पर उसी अनुरूप पलटवार भी किया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
गोवा में भाजपा के प्रभारी फडणवीस ने तटीय राज्य में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ गठबंधन करने के पवार के प्रयासों का मखौल उड़ाया है। राज्य में विधानसभा चुनाव 14 फरवरी को होना है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई पार्टी अपने नाम में केवल ''राष्ट्रवादी'' जोड़कर राष्ट्रीय स्तर हासिल नहीं कर सकती। हालांकि इसे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कहा जाता है, वास्तव में, पार्टी पश्चिमी महाराष्ट्र तक ही सीमित है।’’
राकांपा नेताओं अजीत पवार, सुप्रिया सुले और नवाब मलिक ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता पर पलटवार किया और उनसे शरद पवार के बारे में बोलते हुए संयम बरतने को कहा।
राकांपा के मुख्य प्रवक्ता मलिक ने फडणवीस को याद दिलाया कि कैसे अनुभवी नेता पवार ने उन्हें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री के रूप में लौटने से रोक दिया था। उन्होंने परोक्ष तौर पर भाजपा नेता के राजनीतिक करियर के खत्म होने की ओर इशारा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘यदि वह इसी तरह बोलना जारी रखेंगे, तो शरद पवार उन्हें काशी के घाट दिखाने से नहीं हिचकिचाएंगे।’’
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले फडणवीस ने घोषणा की थी कि शरद पवार का राजनीतिक युग समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा था, ‘‘शरद पवार जी की राजनीति का दौर खत्म हो गया है। वह (पार्टियां) बनाने और तोड़ने की जिस तरह की राजनीति करते थे, वह अब खत्म हो गया है। ऐसी राजनीति नहीं चलेगी। पीढ़ियां बदल गई हैं, लोग अब ऐसी राजनीति को स्वीकार नहीं करते हैं।’’
2019 के महाराष्ट्र चुनावों के बाद शिवसेना जब भाजपा के साथ गठबंधन से बाहर हो गई थी, फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया था और राकांपा नेता अजीत पवार उपमुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, व्यवस्था मुश्किल से तीन दिनों तक चली थी क्योंकि शरद पवार ने सुनिश्चित किया कि राकांपा का कोई भी विधायक सरकार का समर्थन नहीं करे।
फडणवीस को 80 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और अजित पवार भी राकांपा में लौट आए थे। इसके बाद शरद पवार ने शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस का एक असंभावित गठबंधन बनाया था ताकि विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सके।
फडणवीस ने पूर्व में शरद पवार पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है, हालांकि पवार ने उन पर उसी अनुरूप पलटवार भी किया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Rang Panchami : रंग पंचमी पर कर लें यह उपाय, मां लक्ष्मी का घर में होगा वास
Rang Panchami: रंगपंचमी पर धरती पर आएंगे देवी-देवता, इस विधि से करें उन्हें प्रसन्न
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
नाहन-हरिपुरधार मार्ग पर वैन दुर्घटनाग्रस्त, पेड़ ने बचाई 3 लोगों की जान