यूट्यूब व्लॉगर को काली सूची में डालने के खिलाफ याचिका की सुनवाई तय तिथि से पहले नहीं होगी: अदालत

punjabkesari.in Monday, Jan 17, 2022 - 07:46 PM (IST)

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कॉर्ल रॉक के नाम से लोकप्रिय यूट्यूब व्लॉगर कार्ल एडवर्ड राइस को काली सूची में डालने संबंधी याचिका पर सुनवाई पूर्व निर्धारित तारीख से पहले करने से इनकार करते हुए सोमवार को कहा कि प्रतिबंध की अवधि 23 फरवरी को समाप्त होगी और केंद्र तब ‘‘फिर से फैसला करेगा।’’
न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने कहा कि वह यूट्यूबर की पत्नी की याचिका में उठाए गए कानूनी मुद्दों पर सुनवाई करेंगे, लेकिन इस पर पहले से ही निर्धारित तारीख से पूर्व सुनवाई नहीं की जा सकती।

अदालत ने कहा, ‘‘वे 23 फरवरी के बाद फिर से गौर करेंगे। हम उस बिंदु पर विचार करेंगे और सुनवाई मार्च में होगी।
न्यायमूर्ति राव ने कहा, ‘‘मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपको फरवरी में कब की तारीख दूं। हम 21 मार्च को सुनवाई करेंगे। हम (तब) इस पर सुनवाई करेंगे। उन्होंने (काली सूची में डालने के आदेश की अवधि समाप्त होने के लिए) एक तारीख दी है। वे (केंद्र) फैसला करेंगे।’’
याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे वकील फुजैल अहमद अयूबी ने अदालत के रुख के मद्देनजर निर्धारित समय से पहले सुनवाई के लिए अपनी अर्जी वापस ले ली।

वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के पति को बिना किसी नोटिस के काली सूची में डाल दिया गया और ‘‘उनके (याचिकाकर्ता के) कई अधिकारों’’ को रद्द कर दिया गया।

केंद्र सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया ने बताया कि याचिकाकर्ता के पति का वीजा रद्द कर दिया गया है और उन्हें काली सूची में डालने का आदेश इसलिए दिया गया, क्योंकि उन्होंने ‘‘प्रतिबंधित क्षेत्रों’’ में जाने की कोशिश की, कारोबारी गतिविधियां कीं और अपनी वीजा शर्तों का उल्लंघन करते हुए ‘‘पत्रकारिता संबंधी गतिविधियां’’ कीं।

याचिकाकर्ता मनीषा मलिक ने व्लॉगर का नाम काली सूची में डालने और भारत में प्रवेश के लिए वीजा से इनकार करने के केंद्र सरकार के कथित “मनमाने एवं अनुचित” फैसले को अदालत में चुनौती दी है।

मलिक ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके पति के पास न्यूजीलैंड और हालैंड की दोहरी नागरिकता है और उसने भारत के अधिकांश सुन्दर स्थानों का भ्रमण किया है और इन्हें अपने कैमरे में कैद किया है तथा पर्यटन को बढ़ावा देने में योगदान किया है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि राइस को वीजा न देने और प्रतिवादियों (केंद्र) द्वारा ‘‘मनमाने ढंग से उनका नाम काली सूची में डालने” के कारण वह अपने पति के साथ रहने से वंचित हैं और यह जीवन एवं गरिमा के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है।



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PTI News Agency

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