कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों के साथ भेदभाव समाप्त करने को एनएचआरसी का केंद्र, राज्यों को परामर्श

punjabkesari.in Monday, Jan 17, 2022 - 07:19 PM (IST)

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक विस्तृत परामर्श जारी करके देश के 97 कानूनों में से कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ ‘‘भेदभावपूर्ण कानूनी प्रावधानों’’ को सूचीबद्ध किया है और उन्हें हटाने का आह्वान किया है।

आयोग ने एक बयान में समय पर पहचान, उपचार और कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने का भी आह्वान किया है।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाले एनएचआरसी ने परामर्श जारी किया है।

परामर्श में की गई सिफारिशों में यह शामिल है कि केंद्र सरकार को कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘‘अपमानजनक शब्दों’’ के प्रतिस्थापन के लिए एक कानून बनाने पर विचार करना चाहिए।

बयान में कहा गया है, ‘‘परामर्श ने देश के 97 कानूनों में, कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कानूनी प्रावधानों को सूचीबद्ध किया है और उन्हें हटाने का आह्वान किया है।’’
इसमें यह सुनिश्चित करने का उल्लेख किया गया है कि कुष्ठ रोग से पीड़ित किसी भी व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य के साथ भेदभाव न किया जाए और स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा और भूमि अधिकारों के सभी या किसी भी अधिकार से वंचित न किया जाए।

आयोग ने कहा कि इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ायी जानी चाहिए कि कुष्ठ रोग का पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है और कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति अब एमडीटी की पहली खुराक प्राप्त करने के बाद संक्रामक नहीं रहता है। ऐसा व्यक्ति सामान्य विवाहित जीवन जी सकता है, बच्चे पैदा कर सकता है, सामाजिक कार्यक्रमों में भाग ले सकता है तथा सामान्य रूप से स्कूल, कॉलेज जा सकता है। आयोग ने कहा कि वह प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज संगठनों को शामिल करके जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान करता है।

परामर्श में यह भी कहा गया है कि जागरूकता कार्यक्रमों में इस बात पर भी प्रकाश डाला जाना चाहिए कि कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों को किसी विशेष क्लीनिक या अस्पताल या सेनेटोरियम में भेजने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें परिवार के सदस्यों या समुदाय से अलग नहीं किया जाना चाहिए। उसने कहा कि देश के युवाओं में संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।

आयोग की अन्य सिफारिशों में यह भी शामिल है कि यह सुनिश्चित करने के लिए उचित ध्यान दिया जाना चाहिए कि कुष्ठ से प्रभावित व्यक्तियों को बीपीएल कार्ड, आधार कार्ड, जॉब कार्ड और अन्य पहचान प्रमाणपत्र प्राथमिकता के आधार पर प्रदान किए जाएं ताकि ऐसे व्यक्तियों को सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं, जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), मनरेगा का लाभ मिल सके।
इसने कहा कि कुष्ठ रोग प्रभावित प्रत्येक राज्य, केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव और केंद्र सरकार में संबंधित मंत्रालयों के प्रभारी सचिवों को नियमित अंतराल पर राज्य, देश में कुष्ठ से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या और उपचार और कल्याण के लिए किए गए प्रयासों की समीक्षा करनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि इसके साथ ही प्रभावित व्यक्तियों के इलाज एवं कल्याण के लिए उठाये गए कदमों की भी समीक्षा की जानी चाहिए।



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