जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक को संसद की मंजूरी, सरोगेसी (विनियमन) विधेयक रास में पारित

punjabkesari.in Thursday, Dec 09, 2021 - 09:53 AM (IST)

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न क्लीनिक की निगरानी और उनके नियमन तथा इस प्रक्रिया के व्यावसायिक दुरूपयोग पर नियंत्रण के लिए कानूनी प्रावधान के उद्देश्य से लाए गए जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई।

उच्च सदन में आज ध्वनिमत से पारित हुआ यह विधेयक एक दिसंबर को लोकसभा में पारित हो चुका है।

उच्च सदन में सरोगेसी (विनियमन) विधेयक को भी ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका था। लेकिन राज्यसभा में आने के बाद इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया था। इसलिए राज्यसभा में पारित होने के बाद यह विधेयक मंजूरी के लिए पुन: लोकसभा में लाया जाएगा।

दोनों विधेयकों पर चर्चा साथ-साथ हुई। चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सरोगेसी विधेयक पर प्रवर समिति की ज्यादातर सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि दोनों विधेयकों में लिंग चयन, सरोगेट माताओं का शोषण, सरोगेसी से जन्मे बच्चे को कोई विकार होने पर छोड़ देने जैसी अनैतिकताओं पर रोक लगाने का प्रावधान है। इनमें नियमों का उल्लंघन करने पर आर्थिक दंड और जेल की सजा की भी व्यवस्था है।

मांडविया ने कहा कि दोनों ही विधेयकों का उद्देश्य जन्म देने में समस्याओं का सामना करने वाली महिलाओं का सम्मान, उनकी गरिमा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि सरोगेसी विधेयक में राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड, राज्यों में सरोगेसी बोर्ड का गठन करने और सरोगेसी प्रक्रिया के नियमन के लिए समुचित प्राधिकारियों की नियुक्ति करने की व्यवस्था की गई है।

मंत्री ने बताया कि जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक का उद्देश्य सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लीनिक एवं सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी बैंकों का नियमन एवं निगरानी तथा इस तकनीक का दुरुपयोग रोकना है।

उन्होंने कहा कि देश में ऐसे कई क्लीनिक चल रहे हैं जो कृत्रिम गर्भाधान (आईवीएफ) सहित सहायक प्रजनन तकनीक और सरोगेसी का उपयोग कर रहे हैं और इनके लिये कोई नियमन नहीं है और अगर इसका नियमन नहीं किया गया तब यह मददगार प्रौद्योगिकी उद्योग का रूप ले सकती है। दुरूपयोग रोकने के लिए सरोगेसी और कृत्रिम गर्भाधान सहित सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) का नियमन जरूरी था।
मंडाविया ने कहा ‘‘प्रवर समिति ने कहा था कि एआरटी विधेयक के बिना सरोगेसी विधेयक का कोई मतलब नहीं है। इसके बाद जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक भी लाया गया। उन्होंने कहा ‘‘विवाहित महिलाएं, विधवाएं सरोगेसी का लाभ ले सकती हैं। तलाकशुदा महिलाएं एआरटी और परिस्थितियों के अनुसार, सरोगेसी का भी लाभ ले सकती हैं। विदेशी दंपतियों को सरोगेसी के लिए हमारे देश के कानून का पालन करना होगा। बच्चे में कोई विकार होने पर अब उसे छोड़ा नहीं जा सकेगा। तमाम जोखिमों को देखते हुए दोनों विधयेकों में महिला के लिए बीमा का प्रावधान किया गया है।’’
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि कोई भी अगर अनैतिक काम करता है तब उसे बख्शा नहीं जा सकता और इस संबंध में सजा का प्रावधान होना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि नियमों के उल्लंघन पर सजाओं का प्रावधान भी इन विधेयकों में है।

उन्होंने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे सर्वसम्मति से इन विधेयकों को पारित करें। सदन ने ध्वनिमत से दोनों विधेयकों को मंजूरी दे दी।
इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में भाजपा सदस्य के सी राममूर्ति, लेफ्टीनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ डी पी वत्स, अजय प्रताप सिंह, डॉ विकास महात्मे, कांता कर्दम, डॉ अशोक बाजपेयी, वाईएसआर कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी, अन्नाद्रमुक सदस्य एम थंबीदुरै, तेदेपा सदस्य के रवींद्रकुमार, बीजू जनता दल के अमर पटनायक और निर्दलीय अजीत कुमार भुइंया ने हिस्सा लिया।

दोनों विधेयकों के पारित होने के बाद सदन में सदस्यों ने विशेष उल्लेख के जरिये लोकमहत्व से जुड़े मुद्दे उठाए। इसके बाद चार बज कर करीब तीस मिनट पर उच्च सदन की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।



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