सहायक प्रजनन तकनीक संबंधी विभिन्न क्लीनिक के नियमन वाले विधेयकों पर रास में चर्चा शुरू

punjabkesari.in Tuesday, Dec 07, 2021 - 04:43 PM (IST)

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक में देश में चल रहे कई ऐसे क्लीनिक के नियमन का प्रावधान है जो कृत्रिम गर्भाधान (आईवीएफ) सहित सहायक प्रजनन तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

उन्होंने उच्च सदन में इस विधेयक और सरोगेसी (विनियमन) विधेयक को एक साथ चर्चा एवं पारित कराने के लिए पेश करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अंतर-गर्भाशयी गर्भाधान से जुड़े विषयों पर दिशानिर्देशों एवं व्यवस्था का मानकीकरण करने तथा महिलाओं एवं बच्‍चों को शोषण से संरक्षण प्रदान करने एवं सरोगेट माताओं को शोषण से बचाने के उद्देश्य से दोनों विधेयक लाये गये हैं।

मांडविया ने कहा कि सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक पहले चार सितंबर 2020 को लोकसभा में पेश किया गया था और इसे स्थायी समिति को भेज दिया गया था। इस पर संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट आई जिसकी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया। विशेषज्ञों से भी परामर्श किया गया जिसके बाद अब यह विधेयक लाया गया है।
मांडविया ने दोनों विधेयक उस समय पेश किए जब विपक्ष के कई सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी कर रहे। बारह विपक्षी सदस्यों को शेष शीतकाल के लिए निलंबित किए जाने के विरोध में विपक्षी सदस्य लगातार सदन में हंगामा कर रहे हैं।

हंगामे के बीच मांडविया ने कहा कि देश में कई ऐसे क्लीनिक चल रहे हैं जो कृत्रिम गर्भाधान (आईवीएफ) सहित सहायक प्रजनन तकनीक का उपयोग कर रहे हैं और यह विधेयक इनका नियमन करने के लिये लाया गया है।
सहायक प्रजनन तकनीक सेवाओं के नियमन का मुख्‍य उद्देश्‍य संबंधित महिलाओं एवं बच्‍चों को शोषण से संरक्षण प्रदान करना है।

मांडविया ने कहा कि सरोगेसी (विनियमन) विधेयक सरोगेट माताओं का शोषण रोकने के लिए लाया गया है। कोई भी महिला अपनी इच्छा से ही, एक बार सरोगेट मां बन सकेगी।
विधेयक पर चर्चा
शुरू करते हुए बीजू जनता दल की ममता मोहन्ता ने कहा कि उनकी पार्टी दोनों विधेयकों का समर्थन करती है क्योंकि इन विधेयकों का उद्देश्य महिलाओं का सशक्तीकरण करना है। उन्होंने कहा कि बांझपन की समस्या के हल में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी का चलन तेजी से बढ़ा है। लेकिन इससे जुड़े कई कानूनी मुद्दे भी सामने आए हैं।
उन्होंने कहा ‘‘आज देश सरोगेसी का केंद्र बन गया है और दूसरे देशों के लोग इसका लाभ उठाने हमारे देश में आ रहे हैं। लेकिन इसकी आड़ में गैरकानूनी गतिविधियां चल रही हैं जिन्हें रोकना आवश्यक है। सरोगेट माओं का भी शोषण होता है। उनके स्वास्थ्य को दरकिनार कर दिया जाता है। महिलाओं के सम्मान और स्वास्थ्य को देखते हुए दोनों विधेयक जरूरी हैं।’’
विधेयकों पर चर्चा अधूरी रही। ममता जब अपनी बात रख रही थीं तब सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था। उपसभापति ने सदस्यों से दोनों विधेयकों पर चर्चा में भाग लेने की अपील की लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने बैठक तीन बज कर करीब पंद्रह मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।



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