जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष ने बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग की
punjabkesari.in Tuesday, Dec 07, 2021 - 03:00 PM (IST)
नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के उपाध्यक्ष साकेत मून ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग की।
हालांकि, जेएनयूएसयू के एक पदाधिकारी ने मून की टिप्पणी से दूरी बना ली। जेएनयूएसयू ने बाबरी मस्जिद विध्वंस और बी. आर. आंबेडकर की पुण्यतिथि के मौके पर सोमवार रात को एक सद्भावना मार्च का आयोजन किया था। एक कथित वीडियो में मून को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘…मुआवजा दिया जाना चाहिए। यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस गलत था और इसका पुनर्निर्माण होना चाहिए।’’
जेएनयूएसयू के महासचिव सतीशचंद्र यादव ने कहा, ‘‘जेएनयूएसयू ने ऐसी मांग नहीं की। उन्होंने कहा कि किस तरह अदालत ने यह स्वीकार किया कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाना गलत था और कहा था कि इसे फिर से बनाया जाना चाहिए।’’
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
जेएनयूएसयू ने शनिवार रात को ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंटरी का प्रसारण किया था जबकि प्रशासन ने आशंका जताई थी कि ‘‘इस तरह की अनाधिकृत गतिविधि से विश्वविद्यालय परिसर में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
हालांकि, जेएनयूएसयू के एक पदाधिकारी ने मून की टिप्पणी से दूरी बना ली। जेएनयूएसयू ने बाबरी मस्जिद विध्वंस और बी. आर. आंबेडकर की पुण्यतिथि के मौके पर सोमवार रात को एक सद्भावना मार्च का आयोजन किया था। एक कथित वीडियो में मून को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘…मुआवजा दिया जाना चाहिए। यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस गलत था और इसका पुनर्निर्माण होना चाहिए।’’
जेएनयूएसयू के महासचिव सतीशचंद्र यादव ने कहा, ‘‘जेएनयूएसयू ने ऐसी मांग नहीं की। उन्होंने कहा कि किस तरह अदालत ने यह स्वीकार किया कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाना गलत था और कहा था कि इसे फिर से बनाया जाना चाहिए।’’
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
जेएनयूएसयू ने शनिवार रात को ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंटरी का प्रसारण किया था जबकि प्रशासन ने आशंका जताई थी कि ‘‘इस तरह की अनाधिकृत गतिविधि से विश्वविद्यालय परिसर में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है।’’
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