न्यायाधीशों की परीक्षा: न्यायालय ने दिल्ली के न्यायाधीश की उपस्थिति का संज्ञान लिया, ‘खेदजनक स्थिति’ बताया

punjabkesari.in Wednesday, Dec 01, 2021 - 08:23 PM (IST)

नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) दिल्ली के एक पदासीन न्यायिक अधिकारी के व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर चिंता व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि यह बहुत ही खेदजनक स्थिति है। यह न्यायिक अधिकारी एक आदेश में सुधार के लिए न्यायालय आये थे।

इस आदेश के तहत न्यायिक न्यायाधीशों के एक वर्ग को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति से संबंधित विभागीय परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने दिल्ली के न्यायिक अधिकारी को न्यायालय में देखने पर उनसे पूछा, ‘‘आप यहां क्या कर रहे हैं? अदालत किस समय शुरू होती है।’’ इस पर इस न्यायिक अधिकारी ने तत्परता से जवाब दिया कि सुबह 10 बजे शुरू होती है।

पीठ ने कहा, ‘‘अब लगभग दस बजकर 50 मिनट का समय हो रहा है। आप यहां क्यों हैं। आपको उस समय अदालत में होना चाहिए था।’’ इस पर न्यायिक अधिकारी ने कहा कि वह कुछ घंटे के लिए अल्प अवकाश पर थे और अब अदालत कक्ष से चले जायेंगे।

यह देखते हुए कि न्यायिक अधिकारी क्षमाप्रार्थी भी नहीं हैं, पीठ ने कहा, ‘‘एक सक्षम अधिवक्ता आपका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह व्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है। वास्तव में खेदजनक स्थिति है।’’
इसके बाद, पीठ ने दिल्ली के कुछ न्यायिक अधिकारियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई की, जिसमें अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ के लंबित मामले में पारित पहले के आदेश में संशोधन का अनुरोध किया गया है।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि जिला न्यायाधीश के लिए सीमित प्रतियोगी परीक्षा में बैठने के लिए व्यक्ति को ‘सिविल जज सीनियर डिवीजन’ के रूप में कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने याचिका पर सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी करते हुए मामले को अगली सुनवाई के लिए जनवरी, 2022 के दूसरे सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया।

शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर को इस मामले में न्याय मित्र एडीएम संपत के स्थान पर नया न्याय मित्र नियुक्त किया है।



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PTI News Agency

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