सांसदों का निलंबन रद्द हो, सरकार माफी मांगे : कांग्रेस

punjabkesari.in Tuesday, Nov 30, 2021 - 09:44 PM (IST)

नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए 12 राज्यसभा सदस्यों के निलंबन की पृष्ठभूमि में मंगलवार को कहा कि विपक्ष के सदस्यों की ओर से माफी मांगने का सवाल नहीं है, क्योंकि सरकार संसदीय नियमों का उल्लंघन करके और गलत ढंग से निलंबन का प्रस्ताव लाई जिसके लिए उसे माफी मांगनी चाहिए।

मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि निलंबन रद्द किया जाना चाहिए ताकि सदन सुचारू रूप चल सके। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर आग्रह कर किया कि वह निलंबन के फैसले पर पुनर्विचार करें और निलंबन रद्द करें।

उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि निलंबन का प्रस्ताव सदन द्वारा पारित किया गया, क्योंकि संपूर्ण विपक्ष इसके विरोध में था।
खड़गे ने यह भी कहा कि निलंबन से पहले सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि संसद में जनता की बात उठाने के लिए माफी बिल्कुल नहीं मांगी जा सकती। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘किस बात की माफ़ी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं!’’ इस मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को कांग्रेस ने वाकआउट किया। पार्टी ने राज्यसभा में कार्यवाही का पूरे दिन तक बहिष्कार किया।

कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंटा है ताकि विपक्ष जनता के मुद्दों पर उससे सवाल नहीं करे। षड्यंत्र के तहत निलंबन करवाया गया है।’’ राज्यसभा सदस्य ने दावा किया, ‘‘कुछ सदस्यों को पिछले सत्र के दौरान की घटना के समय नामित गया था, लेकिन उन्हें निलंबित नहीं किया गया। मसलन, प्रताप सिंह बाजवा। क्योंकि अगर किसानों के लिए बाजवा जी निलंबित होते तो पंजाब में उनका नाम होता। इसलिए राजनीतिक आकलन के आधार पर लोगों को निलंबित किया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि निलंबन तत्काल रद्द किया जाए और सरकारी माफी मांगे कि निलंबन का प्रस्ताव गलत ढंग से रखा गया था।’’ गोहिल ने यह भी कहा कि विपक्षी सदस्यों की ओर से माफी मांगने का सवाल नहीं उठता, क्योंकि गलती सरकार की है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समान विचारधारा वाली पार्टियों के नेताओं के संपर्क में हैं। हम नियमित रूप से बैठक करेंगे और सदन में सरकार को मनमानी नहीं करने देंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक पर चर्चा कराती तो उसका कच्चा-चिट्ठा खुल जाता। सदन में विपक्ष उससे सवाल नहीं कर पाएं, इस वजह से चर्चा के बिना ही विधेयक पारित करा दिया गया।’’ गोहिल ने कहा कि कांग्रेस सदन चलने समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर संसद में किसानों के मुद्दे, कोरोना महामारी में मारे गए लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने, महंगाई और दूसरों मुद्दों पर सरकार को घेरेगी।
इससे पहले, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि निलंबित किए गए राज्यसभा के 12 विपक्षी सदस्यों को ‘दुर्व्यवहार’ के लिए उच्च सदन के भीतर माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर ये सदस्य सभापति और सदन से माफी मांग लेते हैं तो फिर सरकार उनके प्रस्ताव (निलंबन रद्द करने के) पर सकारात्मक रूप से विचार करने के लिए तैयार है।
संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।
उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कल इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।


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