न्यायालय नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में रेस्तरां बंद करने संबंधी एनजीटी के आदेश के खिलाफ बुधवार को सुनवाई करेगा
punjabkesari.in Tuesday, Nov 30, 2021 - 06:37 PM (IST)
नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा, जिसमें राजस्थान सरकार को एक दिसंबर से जयपुर में नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य / नाहरगढ़ किले के अधिसूचित वन क्षेत्र में संचालित सभी रेस्तरां बंद करने का निर्देश दिया गया था।
एनजीटी ने चार अक्टूबर को अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि एक दिसंबर से वन्यजीव अभयारण्य के क्षेत्र में प्रकाश और ध्वनि कार्यक्रम भी बंद कर दिया जाए।
राजस्थान राज्य के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग और अन्य ने अधिकरण के आदेश के खिलाफ दायर याचिका न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एस.आर. भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने पीठ से कहा कि वे याचिका को तत्काल सूचीबद्ध का अनुरोध कर रहे हैं क्योंकि एनजीटी ने नाहरगढ़ किले के पास की दुकानों, ध्वनि और प्रकाश स्रोतों को बंद करने का निर्देश दिया है और आदेश के अनुसार उन्हें कल से बंद करना होगा।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस मामले को कल यानी एक दिसंबर को रोस्टर के अनुसार उपयुक्त न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध करें।’’
अधिकरण ने अपने आदेश में कहा था कि रेस्तरां, साथ ही प्रकाश और ध्वनि कार्यक्रम, गैर-वन गतिविधियां हैं जिनकी वन क्षेत्रों में अनुमति नहीं हैं और वन्यजीव अधिनियम के अनुकूल भी नहीं हैं। अधिकरण ने यह भी कहा था कि वन विभाग वाहनों द्वारा उत्पन्न शोर के प्रभाव को कम करने के लिए उपयुक्त स्थानों पर ध्वनि अवरोधक स्थापित करे।
अधिकरण ने जयपुर के निकट नाहरगढ़ किले सहित नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य में गैर वन्य गतिविधियों के खिलाफ राजस्थान के एक निवासी के आवेदन पर यह आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने अधिकरण में कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार वन क्षेत्र में किसी प्रकार की गैर वानिकी गतिविधियों की अनुमति नहीं है लेकिन नाहरगढ़ अभ्यारण्य में रेस्तरां की शक्ल में ऐसी गतिविधियों की अनुमति दी गयी है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एनजीटी ने चार अक्टूबर को अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि एक दिसंबर से वन्यजीव अभयारण्य के क्षेत्र में प्रकाश और ध्वनि कार्यक्रम भी बंद कर दिया जाए।
राजस्थान राज्य के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग और अन्य ने अधिकरण के आदेश के खिलाफ दायर याचिका न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एस.आर. भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने पीठ से कहा कि वे याचिका को तत्काल सूचीबद्ध का अनुरोध कर रहे हैं क्योंकि एनजीटी ने नाहरगढ़ किले के पास की दुकानों, ध्वनि और प्रकाश स्रोतों को बंद करने का निर्देश दिया है और आदेश के अनुसार उन्हें कल से बंद करना होगा।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस मामले को कल यानी एक दिसंबर को रोस्टर के अनुसार उपयुक्त न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध करें।’’
अधिकरण ने अपने आदेश में कहा था कि रेस्तरां, साथ ही प्रकाश और ध्वनि कार्यक्रम, गैर-वन गतिविधियां हैं जिनकी वन क्षेत्रों में अनुमति नहीं हैं और वन्यजीव अधिनियम के अनुकूल भी नहीं हैं। अधिकरण ने यह भी कहा था कि वन विभाग वाहनों द्वारा उत्पन्न शोर के प्रभाव को कम करने के लिए उपयुक्त स्थानों पर ध्वनि अवरोधक स्थापित करे।
अधिकरण ने जयपुर के निकट नाहरगढ़ किले सहित नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य में गैर वन्य गतिविधियों के खिलाफ राजस्थान के एक निवासी के आवेदन पर यह आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने अधिकरण में कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार वन क्षेत्र में किसी प्रकार की गैर वानिकी गतिविधियों की अनुमति नहीं है लेकिन नाहरगढ़ अभ्यारण्य में रेस्तरां की शक्ल में ऐसी गतिविधियों की अनुमति दी गयी है।
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