भारत में भी उपनिवेशवादी मानसिकता वाले लोग हैं, जो देश के ही विकास में रोड़े अटकाते हैं: मोदी

punjabkesari.in Saturday, Nov 27, 2021 - 09:51 AM (IST)

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत एकमात्र देश है, जो पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले पूरा करने की ओर अग्रसर है लेकिन इसके बावजूद उपनिवेशवादी मानसिकता के चलते देश पर पर्यावरण के नाम पर तरह-तरह के दबाव बनाए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर या अन्य चीजों का सहारा लेकर अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते है।

राजधानी स्थित विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय संविधान दिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने इस उपनिवेशवादी मानसिकता को दूर करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए सबसे बड़ी शक्ति और सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत भारत का संविधान ही है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए, दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। संविधान की वजह से ही दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।’’
शास्त्रों का उद्धरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी समाज या देश की ताकत उसकी एकता और एकजुट प्रयासों में होती है और जो मजबूत राष्ट्र के हितैषी होते हैं, वह एकता की प्रशंसा करते हैं तथा उस पर जोर देते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि रखते हुए, यही एकता देश की सभी संस्थाओं के प्रयासों में होनी चाहिए। आज जब देश अमृत काल में अपने लिए असाधारण लक्ष्य तय कर रहा है, दशकों पुरानी समस्याओं के समाधान तलाश करते हुए भविष्य के लिए संकल्प ले रहा है, तो यह सबके साथ से ही पूरी होगी।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘‘सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास’’ संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है।

सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और यह हमने करके दिखाया है।’’


उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति एम वी रमण और कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीश, सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश और अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश, भारत के सॉलिसिटर जनरल और विधि जगत के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।



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