डब्ल्यूटीओ में खास एवं अलग बर्ताव की व्यवस्था जारी रखने पर होगा जोर- सरकार
punjabkesari.in Thursday, Nov 25, 2021 - 09:50 PM (IST)
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की जिनेवा में 30 नवंबर से होने वाली मंत्री-स्तरीय बैठक में भारत विकासशील देशों के लिए ''खास एवं अलग बर्ताव'' की व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरा जोर लगाएगा।
वाणिज्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्यामल मिश्रा ने बृहस्पतिवार को एक परिचर्चा में कहा कि भारत जिनेवा सम्मेलन में यह भी सुनिश्चित करेगा कि डब्ल्यूटीओ सुव्यवस्थित वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाले एक अंतरराष्ट्रीय निकाय के तौर पर प्रासंगिक बना रहे।
उन्होंने कहा कि भारत डब्ल्यूटीओ की 12वीं मंत्री-स्तरीय बैठक में विकासशील देशों के लिए बनी खास एवं अलग बर्ताव वाली व्यवस्था जारी रखने के लिए पूरी कोशिश करेगा।
इस व्यवस्था के तहत विकासशील देशों को वैश्विक कारोबार में कुछ रियायतें दी जाती हैं। लेकिन हाल के समय में विकसित देश इस व्यवस्था में अब बदलाव की मांग उठाते रहे हैं। इसे लेकर भारत ने लगातार अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं।
मिश्रा ने कहा, "इस मूलभूत सिद्धांत को आगे भी बनाए रखने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें भारत जैसे विकासशील देश के लिए जरूरी नीतिगत व्यवस्था भी करनी होगी।"
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ एक मुक्त नियम-आधारित बहुस्तरीय कारोबार व्यवस्था के तौर पर बना था और इस तरह की व्यवस्था से कई फायदे भी हैं। इसलिए भारत जैसे विकासशील देशों के हित में है कि यह संगठन सुचारू रूप से चले।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
वाणिज्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्यामल मिश्रा ने बृहस्पतिवार को एक परिचर्चा में कहा कि भारत जिनेवा सम्मेलन में यह भी सुनिश्चित करेगा कि डब्ल्यूटीओ सुव्यवस्थित वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाले एक अंतरराष्ट्रीय निकाय के तौर पर प्रासंगिक बना रहे।
उन्होंने कहा कि भारत डब्ल्यूटीओ की 12वीं मंत्री-स्तरीय बैठक में विकासशील देशों के लिए बनी खास एवं अलग बर्ताव वाली व्यवस्था जारी रखने के लिए पूरी कोशिश करेगा।
इस व्यवस्था के तहत विकासशील देशों को वैश्विक कारोबार में कुछ रियायतें दी जाती हैं। लेकिन हाल के समय में विकसित देश इस व्यवस्था में अब बदलाव की मांग उठाते रहे हैं। इसे लेकर भारत ने लगातार अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं।
मिश्रा ने कहा, "इस मूलभूत सिद्धांत को आगे भी बनाए रखने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें भारत जैसे विकासशील देश के लिए जरूरी नीतिगत व्यवस्था भी करनी होगी।"
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ एक मुक्त नियम-आधारित बहुस्तरीय कारोबार व्यवस्था के तौर पर बना था और इस तरह की व्यवस्था से कई फायदे भी हैं। इसलिए भारत जैसे विकासशील देशों के हित में है कि यह संगठन सुचारू रूप से चले।
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