मुकदमों पूरी तरह प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए याचिका पर विचार के लिए शीर्ष अदालत तैयार
punjabkesari.in Thursday, Nov 25, 2021 - 12:44 AM (IST)
नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मुकदमों की पूर्ण रूपेण प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने को लेकर वकीलों के आवेदन पर विचार करने पर बुधवार को सहमति जता दी। हालांकि इसने कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को निर्णय लेना होगा।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप आवेदन को अन्य लंबित पहले से लंबित उन याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध किया जाए जिसे याचिकाकर्ता वकीलों के एक अन्य समूह ने आभासी (वर्चुअल) सुनवाई जारी रखने की मांग को लेकर दायर की थी। वकीलों के इस समूह का दावा है कि वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई मौलिक अधिकार है।
वकीलों की ओर से पेश अधिवक्ता एस. सिंह ने कहा कि वह वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई जारी रखने की मांग का विरोध कर रहे हैं।
मामले का उल्लेख करने वाले वकील एस सिंह ने कहा कि वे याचिका का विरोध कर रहे हैं क्योंकि 10-15 साल से वकालत कर रहे वकील प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर बहस करने में अधिक सहज महसूस करते हैं।
पीठ ने हालांकि कहा, “कुछ वकील ऐसे हैं जो आभासी सुनवाई चाहते हैं और कुछ प्रत्यक्ष सुनवाई। आपको इसे सुलझाना होगा। अदालतें प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए तैयार हैं। अंतत: निर्णय एससीबीए और बीसीआई को लेना होगा।’’
सिंह ने कहा कि उनके पास 10-15 साल का अनुभव है और वह प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर बहस करने में अधिक सहज महसूस करते हैं, क्योंकि इसमें कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं है और वकील न्यायाधीशों को देखकर अपने मामलों पर बहस कर सकते हैं।
पीठ ने कहा कि वह सिंह के विचार से सहमत है, क्योंकि अदालत भी वकील द्वारा उसके समक्ष हुई बहस को सही मानती हैं। इसके साथ ही इस याचिका को अन्य लंबित मामलों के साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत में वकालत करने वाले एक सौ से अधिक वकीलों ने पूर्ण रूपेण प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने के लिए इसमे हस्तक्षेप की मांग की है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप आवेदन को अन्य लंबित पहले से लंबित उन याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध किया जाए जिसे याचिकाकर्ता वकीलों के एक अन्य समूह ने आभासी (वर्चुअल) सुनवाई जारी रखने की मांग को लेकर दायर की थी। वकीलों के इस समूह का दावा है कि वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई मौलिक अधिकार है।
वकीलों की ओर से पेश अधिवक्ता एस. सिंह ने कहा कि वह वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई जारी रखने की मांग का विरोध कर रहे हैं।
मामले का उल्लेख करने वाले वकील एस सिंह ने कहा कि वे याचिका का विरोध कर रहे हैं क्योंकि 10-15 साल से वकालत कर रहे वकील प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर बहस करने में अधिक सहज महसूस करते हैं।
पीठ ने हालांकि कहा, “कुछ वकील ऐसे हैं जो आभासी सुनवाई चाहते हैं और कुछ प्रत्यक्ष सुनवाई। आपको इसे सुलझाना होगा। अदालतें प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए तैयार हैं। अंतत: निर्णय एससीबीए और बीसीआई को लेना होगा।’’
सिंह ने कहा कि उनके पास 10-15 साल का अनुभव है और वह प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर बहस करने में अधिक सहज महसूस करते हैं, क्योंकि इसमें कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं है और वकील न्यायाधीशों को देखकर अपने मामलों पर बहस कर सकते हैं।
पीठ ने कहा कि वह सिंह के विचार से सहमत है, क्योंकि अदालत भी वकील द्वारा उसके समक्ष हुई बहस को सही मानती हैं। इसके साथ ही इस याचिका को अन्य लंबित मामलों के साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत में वकालत करने वाले एक सौ से अधिक वकीलों ने पूर्ण रूपेण प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने के लिए इसमे हस्तक्षेप की मांग की है।
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