बूस्टर खुराक की जरूरत के समर्थन में वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं: आईसीएमआर प्रमुख

punjabkesari.in Tuesday, Nov 23, 2021 - 08:49 AM (IST)

नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर खुराक (यानी तीसरी खुराक) देने की जरूरत के समर्थन में अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि फिलहाल वयस्क आबादी को टीके की दूसरी खुराक दी जाए।
सूत्रों के मुताबिक, भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की अगली बैठक में बूस्टर खुराक को लेकर चर्चा की जा सकती है।

भार्गव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “ सरकार की फिलहाल प्राथमिकता है कि संपूर्ण वयस्क आबादी को टीके की दूसरी खुराक लगाई जाए और न सिर्फ भारत में बल्कि की पूरी दुनिया में टीकाकरण सुनिश्चित हो।”
उन्होंने कहा, “ वहीं, कोविड के खिलाफ बूस्टर खुराक की जरूरत का समर्थन करने के लिए अब तक वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है।”
बूस्टर खुराक लगाने की संभावना पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल में कहा था कि टीकों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और लक्ष्य है कि आबादी को टीके की दोनों खुराकें लगाई जाएं। उन्होंने कहा था कि विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर बूस्टर खुराक पर निर्णय लिया जाएगा।

मंत्री ने कहा था, ‘‘सरकार ऐसे मामले में सीधा फैसला नहीं ले सकती है। जब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और विशेषज्ञ टीम कहेगी कि बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए, तब हम इस पर विचार करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा विशेषज्ञ की राय पर निर्भर रहे हैं, चाहे वह टीके का अनुसंधान हो, निर्माण हो या मंजूरी हो।

अधिकारियों के अनुसार, भारत में लगभग 82 प्रतिशत पात्र आबादी को टीके की पहली खुराक लग गई है, जबकि लगभग 43 प्रतिशत जनसंख्या का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है।
सुबह सात बजे तक के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोविड रोधी टीके की कुल 116.87 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं।



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PTI News Agency

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