भारत ने ओपेक से कहा, तेल की ऊंची कीमतें वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार को नुकसान पहुंचाएंगी
punjabkesari.in Tuesday, Oct 19, 2021 - 09:18 AM (IST)
नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता भारत ने सऊदी अरब और ओपेक (तेल निर्यातक देशों के संगठन) के अन्य सदस्य देशों से कहा कि तेल की ऊंची कीमतें दुनिया में आर्थिक पुनरुद्धार को नुकसान पहुंचाएंगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि ओपेक को तेल की कीमतें वाजिब स्तर पर रखनी चाहिए।
इस साल मई से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू होने के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
अधिकारी ने कहा कि भारत ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और अन्य तेल उत्पादकों से कहा कि तेल की ऊंची कीमत के कारण वैकल्पिक ईंधन को अपनाने की गति बढ़ेगी और इससे तेल उत्पादकों को नुकसान पहुंच सकता है।
भारत पश्चिम एशिया से अपनी तेल जरूरतों का लगभग दो-तिहाई आयात करता है।
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘तेल की कीमतों को लेकर उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच हितों का संतुलन बनाना पड़ता है। अभी ये वास्तव में बहुत ज्यादा हैं, क्योंकि आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक है।’’
कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें पिछले साल अप्रैल में 19 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई थीं। हालांकि, अर्थव्यवस्थाओं के खुलने के साथ ही मांग में तेजी से सुधार हुआ और अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड तब से बढ़कर 85.67 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।
अधिकारी ने कहा कि तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल के हफ्तों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, अमेरिका, रूस और बहरीन को तेल की ऊंची कीमतों के मुद्दे से अवगत कराया है।
पुरी ने ओपेक के महासचिव, सऊदी अरब और अन्य देशों में अपने पेट्रोलियम मंत्रियों के साथ बैठकों में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को लेकर भारत की गंभीर चिंताओं के बारे में बताया।
अधिकारी के मुताबिक तेल मंत्री ने कहा कि उचित मूल्य निर्धारण उपभोक्ताओं और उत्पादकों के लिए पारस्परिक रूप से फायदेमंद है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि ओपेक को तेल की कीमतें वाजिब स्तर पर रखनी चाहिए।
इस साल मई से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू होने के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
अधिकारी ने कहा कि भारत ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और अन्य तेल उत्पादकों से कहा कि तेल की ऊंची कीमत के कारण वैकल्पिक ईंधन को अपनाने की गति बढ़ेगी और इससे तेल उत्पादकों को नुकसान पहुंच सकता है।
भारत पश्चिम एशिया से अपनी तेल जरूरतों का लगभग दो-तिहाई आयात करता है।
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘तेल की कीमतों को लेकर उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच हितों का संतुलन बनाना पड़ता है। अभी ये वास्तव में बहुत ज्यादा हैं, क्योंकि आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक है।’’
कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें पिछले साल अप्रैल में 19 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई थीं। हालांकि, अर्थव्यवस्थाओं के खुलने के साथ ही मांग में तेजी से सुधार हुआ और अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड तब से बढ़कर 85.67 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।
अधिकारी ने कहा कि तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल के हफ्तों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, अमेरिका, रूस और बहरीन को तेल की ऊंची कीमतों के मुद्दे से अवगत कराया है।
पुरी ने ओपेक के महासचिव, सऊदी अरब और अन्य देशों में अपने पेट्रोलियम मंत्रियों के साथ बैठकों में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को लेकर भारत की गंभीर चिंताओं के बारे में बताया।
अधिकारी के मुताबिक तेल मंत्री ने कहा कि उचित मूल्य निर्धारण उपभोक्ताओं और उत्पादकों के लिए पारस्परिक रूप से फायदेमंद है।
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