दिल्ली में बिजली की कमी के कारण कोई कटौती नहीं: विद्युत मंत्रालय
punjabkesari.in Wednesday, Oct 13, 2021 - 09:39 PM (IST)
नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि दिल्ली में बिजली की कमी के कारण कोई कटौती नहीं हुई है। बिजलीघरों को कोयला आपूर्ति को लेकर चिंता के बीच मंत्रालय ने यह कहा है।
मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की स्थिति के बारे में तथ्य जारी करते हुए कहा कि दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग 12 अक्टूबर को 4,707 मेगावॉट और 10.15 करोड़ यूनिट रही।
बयान के अनुसार, ‘‘दिल्ली की वितरण कंपनियों से मिली सूचना के अनुसार बिजली की कमी के कारण कोई कटौती नहीं हुई, क्योंकि उन्हें जरूरी मात्रा में ऊर्जा की आपूर्ति की गयी थी।’’
मंत्रालय ने जो तथ्य उपलब्ध कराये हैं, उसके अनुसार शहर में 27 सितंबर से 12 अक्टूबर के बीच बिजली की कोई कमी नहीं रही।
दिल्ली में 12 अक्टूबर को 10.15 करोड़ यूनिट की जरूरत के अनुसार 10.15 करोड़ बिजली उपलब्ध रही।
मंत्रालय के अनुसार, ऊर्जा की उपलब्धता 11 अक्टूबर को जरूरत से अधिक रही। उस दिन जहां जरूरत 10.11 करोड़ यूनिट थी, वहीं उपलब्धता 10.19 करोड़ यूनिट थी।
इससे यह भी पता चलता है कि इस अवधि में बिजली की अधिकतम मांग और आपूर्ति समान बनी रही। बिजली वितरण कंपनियों ने दिल्ली में उनके लिये उपलब्ध बिजली की तुलना में कम ऊर्जा ली।
आंकड़े के अनुसार, एनटीपीसी के संयंत्रों (कोयला) ने टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. (डीडीएल) को 1.749 करोड़ यूनिट बिजली की पेशकश की जबकि आवंटन 1.903 करोड़ यूनिट का था। लेकिन टाटा पावर डीडीएल ने 1.691 करोड़ यूनिट बिजली ली। यह एनटीपीसी द्वारा उपलब्ध बिजली का 96.64 प्रतिशत है।
इसी प्रकार, दामोदर घाटी निगम और एनटीपीसी (गैस) ने दिल्ली में वितरण कंपनियों द्वारा ली गयी बिजली की तुलना में उतनी या उससे अधिक बिजली उपलब्ध करायी।
दिल्ली की दो अन्य वितरण कंपनियां बीएसईएस राजधानी पावर लि. और बीएसईएस यमुना पावर लि. हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की स्थिति के बारे में तथ्य जारी करते हुए कहा कि दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग 12 अक्टूबर को 4,707 मेगावॉट और 10.15 करोड़ यूनिट रही।
बयान के अनुसार, ‘‘दिल्ली की वितरण कंपनियों से मिली सूचना के अनुसार बिजली की कमी के कारण कोई कटौती नहीं हुई, क्योंकि उन्हें जरूरी मात्रा में ऊर्जा की आपूर्ति की गयी थी।’’
मंत्रालय ने जो तथ्य उपलब्ध कराये हैं, उसके अनुसार शहर में 27 सितंबर से 12 अक्टूबर के बीच बिजली की कोई कमी नहीं रही।
दिल्ली में 12 अक्टूबर को 10.15 करोड़ यूनिट की जरूरत के अनुसार 10.15 करोड़ बिजली उपलब्ध रही।
मंत्रालय के अनुसार, ऊर्जा की उपलब्धता 11 अक्टूबर को जरूरत से अधिक रही। उस दिन जहां जरूरत 10.11 करोड़ यूनिट थी, वहीं उपलब्धता 10.19 करोड़ यूनिट थी।
इससे यह भी पता चलता है कि इस अवधि में बिजली की अधिकतम मांग और आपूर्ति समान बनी रही। बिजली वितरण कंपनियों ने दिल्ली में उनके लिये उपलब्ध बिजली की तुलना में कम ऊर्जा ली।
आंकड़े के अनुसार, एनटीपीसी के संयंत्रों (कोयला) ने टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. (डीडीएल) को 1.749 करोड़ यूनिट बिजली की पेशकश की जबकि आवंटन 1.903 करोड़ यूनिट का था। लेकिन टाटा पावर डीडीएल ने 1.691 करोड़ यूनिट बिजली ली। यह एनटीपीसी द्वारा उपलब्ध बिजली का 96.64 प्रतिशत है।
इसी प्रकार, दामोदर घाटी निगम और एनटीपीसी (गैस) ने दिल्ली में वितरण कंपनियों द्वारा ली गयी बिजली की तुलना में उतनी या उससे अधिक बिजली उपलब्ध करायी।
दिल्ली की दो अन्य वितरण कंपनियां बीएसईएस राजधानी पावर लि. और बीएसईएस यमुना पावर लि. हैं।
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