शिवसेना ने महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग की
punjabkesari.in Wednesday, Sep 22, 2021 - 10:20 AM (IST)
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व का गला घोंट दिया गया है। उन्होंने शीर्ष संत की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग भी की।
प्रभावशाली हिंदू संत महंत नरेंद्र गिरी सोमवार को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित बाघंबरी मठ में मृत पाए गए थे। वह भारत में साधुओं के सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे। राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि संत की मौत का कारण आत्महत्या बताया जा रहा है, लेकिन उनके अनुयायियों को लगता है कि उनकी हत्या की गई है।
राउत ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में किसी ने हिंदुत्व का गला घोंट दिया है। जिस तरह से हमने (महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी नेतृत्व वाली सरकार ने) पालघर में जांच की थी, उसी तरह इस मामले (संत की मौत) की सीबीआई जांच होनी चाहिए।’’ अप्रैल 2020 में पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ के हाथों जान जाने की घटना का जिक्र करते हुए राउत ने कहा कि उस समय भाजपा ने कहा था कि हिंदुत्व पर हमला किया गया है।
गौरतलब है कि मुंबई से 140 किलोमीटर उत्तर में पालघर जिले के गडचिंचले में 16 अप्रैल, 2020 को भीड़ ने दो साधुओं चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70) और सुशीलगिरी महाराज (35) तथा उनके ड्राइवर नीलेश तेलगड़े (30) को पीट-पीट कर मार डाला था।
शीर्ष संत के साथ अपनी पार्टी के संबंधों को याद करते हुए राउत ने कहा कि वह कुंभ मेला और राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े थे और एक हिंदुत्व संगठन के रूप में शिवसेना को कई बार उनका आशीर्वाद मिला।
पुलिस महानिरीक्षक केपी सिंह के अनुसार, महंत गिरी का शव उनके शिष्यों ने छत से लटका पाया था। पुलिस ने बताया कि घटनास्थल से सात-आठ पन्नों का एक कथित सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें संत ने लिखा था कि वह मानसिक रूप से परेशान हैं, इसलिए वह आत्महत्या कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार, संत ने लिखा था कि वह अपने एक शिष्य से परेशान थे।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
प्रभावशाली हिंदू संत महंत नरेंद्र गिरी सोमवार को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित बाघंबरी मठ में मृत पाए गए थे। वह भारत में साधुओं के सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे। राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि संत की मौत का कारण आत्महत्या बताया जा रहा है, लेकिन उनके अनुयायियों को लगता है कि उनकी हत्या की गई है।
राउत ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में किसी ने हिंदुत्व का गला घोंट दिया है। जिस तरह से हमने (महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी नेतृत्व वाली सरकार ने) पालघर में जांच की थी, उसी तरह इस मामले (संत की मौत) की सीबीआई जांच होनी चाहिए।’’ अप्रैल 2020 में पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ के हाथों जान जाने की घटना का जिक्र करते हुए राउत ने कहा कि उस समय भाजपा ने कहा था कि हिंदुत्व पर हमला किया गया है।
गौरतलब है कि मुंबई से 140 किलोमीटर उत्तर में पालघर जिले के गडचिंचले में 16 अप्रैल, 2020 को भीड़ ने दो साधुओं चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70) और सुशीलगिरी महाराज (35) तथा उनके ड्राइवर नीलेश तेलगड़े (30) को पीट-पीट कर मार डाला था।
शीर्ष संत के साथ अपनी पार्टी के संबंधों को याद करते हुए राउत ने कहा कि वह कुंभ मेला और राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े थे और एक हिंदुत्व संगठन के रूप में शिवसेना को कई बार उनका आशीर्वाद मिला।
पुलिस महानिरीक्षक केपी सिंह के अनुसार, महंत गिरी का शव उनके शिष्यों ने छत से लटका पाया था। पुलिस ने बताया कि घटनास्थल से सात-आठ पन्नों का एक कथित सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें संत ने लिखा था कि वह मानसिक रूप से परेशान हैं, इसलिए वह आत्महत्या कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार, संत ने लिखा था कि वह अपने एक शिष्य से परेशान थे।
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