हरियाली के लिए तय जमीन के व्यावसायिक इस्तेमाल का आरोप, अदालत ने डीडीए से जवाब मांगा

punjabkesari.in Saturday, Sep 18, 2021 - 09:08 AM (IST)

नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर डीडीए से जवाब मांगा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि प्राधिकरण ने हरित क्षेत्र के विकास लिए निर्धारित लगभग 129 एकड़ भूमि के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए एक रियल इस्टेट कंपनी के साथ समझौता किया है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दो संगठनों की याचिका पर नोटिस जारी किया और डीएलएफ होम डेवलपर्स, उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड और अन्य से भी जवाब मांगा।

अदालत ने आठ सितंबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘वकीलों ने हलफनामों पर अपने संबंधित जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। अर्जी मंजूर की जाती है।’’
याचिकाकर्ताओं अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा और राष्ट्रवादी जनहित सभा ने सूचित किया है कि 1996 में उच्चतम न्यायालय ने यहां कई खतरनाक, हानिकारक, भारी और बड़े उद्योगों को बंद करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के साथ 68 प्रतिशत से 57 प्रतिशत उनकी भूमि हरियाली विकसित करने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को देने को कहा गया था। याचिका में कहा गया कि शीर्ष अदालत ने 2010 में एक आदेश जारी कर डीडीए से इस जमीन का इस्तेमाल वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए नहीं करने को कहा।

डीडीए और डीएलएफ होम डेवलपर्स ने 2015 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसके अनुसार 129 एकड़ से अधिक भूमि को शीर्ष अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए बाद में सौंप दिया गया। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि 2011 में डीडीए ने हरियाली के तौर पर भूमि को विकसित कराया और जनता के लिए पार्क खोला गया। हालांकि, 2015 में लोहे के बड़े गेट लगाए दिए गए और आम लोगों को पार्क के भीतर जाने की अनुमति नहीं है। अब इस क्षेत्र में केवल डीएलएफ के सुरक्षाकर्मियों को जाने की अनुमति है।



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PTI News Agency

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