अदालत ने दिल्ली सरकार, आईएलबीएस से बीमार पिता को यकृत दान करने संबंधी नाबालिग की याचिका पर जवाब मांगा
punjabkesari.in Friday, Sep 17, 2021 - 10:30 AM (IST)
नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) से एक नाबालिग की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें उसने अपने बीमार पिता को अपने यकृत का हिस्सा दान करने की अनुमति मांगी है।
उसके पिता यकृत खराब होने के अग्रिम चरण से गुजर रहे हैं।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने 17 साल नौ महीने के लड़के की याचिका पर राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन को नोटिस जारी किये हैं। न्यायालय ने कहा कि अधिकारियों द्वारा जवाबी हलफनामा तीन दिन के भीतर दायर किया जाए और आईएलबीएस का एक जिम्मेदार अधिकारी 24 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में मौजूद रहेगा।
लड़के ने अपनी मां के जरिये अस्पताल के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें बीमार पिता को अपने यकृत का हिस्सा दान करने के उसके आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
याचिका में कहा गया है कि लड़के की मां और बड़े भाई को चिकित्सकीय आधार पर अंगदान करने से मना कर दिया गया और अब उसे भी इसके लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया गया है।
मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम के अनुसार, एक अवयस्क द्वारा अवयस्क के लिए मानव अंग या ऊतक दान करने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और एक नाबालिग को भी सरकार द्वारा निर्धारित तरीके से अंग और ऊतक दान करने की अनुमति है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उसके पिता यकृत खराब होने के अग्रिम चरण से गुजर रहे हैं।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने 17 साल नौ महीने के लड़के की याचिका पर राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन को नोटिस जारी किये हैं। न्यायालय ने कहा कि अधिकारियों द्वारा जवाबी हलफनामा तीन दिन के भीतर दायर किया जाए और आईएलबीएस का एक जिम्मेदार अधिकारी 24 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में मौजूद रहेगा।
लड़के ने अपनी मां के जरिये अस्पताल के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें बीमार पिता को अपने यकृत का हिस्सा दान करने के उसके आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
याचिका में कहा गया है कि लड़के की मां और बड़े भाई को चिकित्सकीय आधार पर अंगदान करने से मना कर दिया गया और अब उसे भी इसके लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया गया है।
मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम के अनुसार, एक अवयस्क द्वारा अवयस्क के लिए मानव अंग या ऊतक दान करने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और एक नाबालिग को भी सरकार द्वारा निर्धारित तरीके से अंग और ऊतक दान करने की अनुमति है।
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