कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन पूरी तरह राजनीतिक , किसानों के कल्याण से कोई लेना देना नहीं : भाजपा
punjabkesari.in Tuesday, Sep 14, 2021 - 10:36 AM (IST)
चंडीगढ़, 13 सितंबर (भाषा) केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी मौजूदा आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसान नेताओं पर बरसते हुये हरियाणा के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओ पी धनखड़ ने सोमवार को कहा कि यह आंदोलन ‘‘अब पूरी तरह राजनीतिक’’ है और किसानों के कल्याण से इसका कोई लेना देना नहीं है।
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘‘जन सेवा के दो दशक’’ पूरा होने के मौके पर भाजपा की ओर से 20 दिन के ‘सेवा एवं समर्पण’ अभियान की जानकारी देने के लिये संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे । इस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने इस अभियान की विस्तृत जानकारी दी ।
अभियान की शुरूआत प्रधानमंत्री के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर से होगी ।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि किसानों का आंदोलन इसके मूल एजेंडे से बहुत आगे जा चुका है । उन्होंने कहा कि इसका मकसद कृषि कानूनों में सुधार लाना था ।
धनखड़ ने कहा, ‘‘यह आंदोलन अब पूरी तरह राजनीतिक हो चुका है, किसानों के कल्याण से इसका कोई लेना देना नहीं है ।’’
उनसे पूछा गया था कि किसानों ने कहा है कि वह प्रदेश में भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध करते रहेंगे ।
उन्होंने कहा, ‘‘यह आंदोलन अपने मूल एजेंडे से आगे जा चुका है। (आंदोलन में शामिल) किसान नेता पहले कहा करते थे कि वह इन कानूनों में सुधार चाहते हैं । लेकिन जब यह मामला उठा तो, उन्होंने अपनी मांग का रास्ता बदल दिया और इसे वापस लेने की मांग करने लगे ।’’
हजारों किसान दिल्ली सीमा पर तीनों कृषि कानूनों के विरोध में नौ महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं । इनमें से अधिकतर किसान मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा से हैं । किसानों की मांग तीनों कानूनों को वापस लेने की है, क्योंकि उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और उन्हें बड़ी कंपनियों की दया पर निर्भर रहना होगा ।
हरियाणा सरकार में कृषि मंत्री रह चुके धनखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार ने बातचीत के लिये अपने दरवाजे हमेशा खुले रखे हैं । गौरतलब है कि किसानों और सरकार के बीच दस राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन यह बेनतीजा रही थी ।
भाजपा नेता ने विपक्षी कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया ।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘‘जन सेवा के दो दशक’’ पूरा होने के मौके पर भाजपा की ओर से 20 दिन के ‘सेवा एवं समर्पण’ अभियान की जानकारी देने के लिये संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे । इस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने इस अभियान की विस्तृत जानकारी दी ।
अभियान की शुरूआत प्रधानमंत्री के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर से होगी ।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि किसानों का आंदोलन इसके मूल एजेंडे से बहुत आगे जा चुका है । उन्होंने कहा कि इसका मकसद कृषि कानूनों में सुधार लाना था ।
धनखड़ ने कहा, ‘‘यह आंदोलन अब पूरी तरह राजनीतिक हो चुका है, किसानों के कल्याण से इसका कोई लेना देना नहीं है ।’’
उनसे पूछा गया था कि किसानों ने कहा है कि वह प्रदेश में भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध करते रहेंगे ।
उन्होंने कहा, ‘‘यह आंदोलन अपने मूल एजेंडे से आगे जा चुका है। (आंदोलन में शामिल) किसान नेता पहले कहा करते थे कि वह इन कानूनों में सुधार चाहते हैं । लेकिन जब यह मामला उठा तो, उन्होंने अपनी मांग का रास्ता बदल दिया और इसे वापस लेने की मांग करने लगे ।’’
हजारों किसान दिल्ली सीमा पर तीनों कृषि कानूनों के विरोध में नौ महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं । इनमें से अधिकतर किसान मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा से हैं । किसानों की मांग तीनों कानूनों को वापस लेने की है, क्योंकि उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और उन्हें बड़ी कंपनियों की दया पर निर्भर रहना होगा ।
हरियाणा सरकार में कृषि मंत्री रह चुके धनखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार ने बातचीत के लिये अपने दरवाजे हमेशा खुले रखे हैं । गौरतलब है कि किसानों और सरकार के बीच दस राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन यह बेनतीजा रही थी ।
भाजपा नेता ने विपक्षी कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया ।
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