पेगासस विवाद: छिपाने के लिये कुछ नहीं, केंद्र ने न्यायालय से कहा

punjabkesari.in Monday, Aug 16, 2021 - 03:28 PM (IST)

नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों में “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं” है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिये प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाएगा।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने इस बात पर चर्चा की कि क्या इस मामले में सोमवार को संक्षिप्त सीमित हलफनामा दायर करने वाली केंद्र सरकार को विस्तृत हलफनामा दायर करना चाहिए। इस मामले में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
न्यायालय इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

जासूसी के आरोपों की जांच को लेकर याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार का हलफनामा यह नहीं बताता कि सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि पेगासस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू शामिल होगा और यह “संवेदनशील” मामला है।

मेहता ने पीठ को बताया, “हम एक संवेदनशील मामले को देख रहे हैं और ऐसा लगता है कि इसे सनसनीखेज बनाने के प्रयास हो रहे हैं।” उन्होंने कहा, “यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा होगा।”

सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने पीठ को बताया कि यह मामला “बेहद तकनीकी” है और इसके पहलुओं को देखने के लिये विशेषज्ञता की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “छिपाने के लिये कुछ भी नहीं है। विशेषज्ञों की समिति से इसकी जांच की जरूरत है। यह बेहत तकनीकी मुद्दा है। हम इस क्षेत्र के प्रमुख तटस्थ विशेषज्ञों की नियुक्ति करेंगे।”

सिब्बल ने कहा कि केंद्र द्वारा दायर हलफनामा यह नहीं बताता कि क्या सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया?

उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते कि सरकार, जिसने पेगासस का इस्तेमाल किया हो या उसकी एजेंसी जिसने हो सकता है इसका इस्तेमाल किया हो, अपने आप एक समिति गठित करें।”

याचिकाकर्ताओं के एक वेब पोर्टल द्वारा प्रकाशित समाचार पर भरोसा करने की दलील देते हुए मेहता ने कहा, “हमारे मुताबिक, एक गलत विमर्श गढ़ा गया।”

इससे पहले, दिन में केंद्र ने हलफनामा दायर कर सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाएं “अटकलों, अनुमानों” और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं।


हलफनामे में सरकार ने कहा कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही कथित पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद में उसका रुख स्पष्ट कर चुके हैं।


हलफनामे में कहा गया, “उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं।”

हलफनामे में कहा गया कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी गलत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा।


शीर्ष अदालत ने 10 अगस्त को कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर जासूसी मुद्दे पर “समानांतर कार्यवाही और बहस” को अपवादस्वरूप लेते हुए कहा था कि अनुशासन कायम रखा जाना चाहिए और याचिकाकर्ताओं को “व्यवस्था में थोड़ा भरोसा होना चाहिए।”

इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं। इनमें से एक याचिका ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की भी है। ये याचिकाएं इजराइली फर्म एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रतिष्ठित नागरिकों, राजनीतिज्ञों और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की खबरों से संबंधित हैं।


एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे।

गौरतलब है कि पांच अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेगासस से जासूसी कराए जाने संबंधी खबरें अगर सही हैं तो यह आरोप ‘‘गंभीर प्रकृति” के हैं।’’ न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से यह भी जानना चाहा था कि क्या उन्होंने इस मामले में कोई आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया।


एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकारों और दूसरों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया है।


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