सीबीआई और ईडी के मामलों में वीरभद्र सिंह के खिलाफ अदालत में कार्यवाही बंद

punjabkesari.in Tuesday, Aug 03, 2021 - 07:07 PM (IST)

नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के कारण आय के ज्ञात स्रोत से कथित अधिक संपत्ति के संबंध में उनके खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज दो मामलों में कार्यवाही बंद कर दी।

विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने दो अगस्त को यह आदेश तब पारित किया जब सिंह के वकील ने आठ जुलाई को उनके निधन के बारे में अदालत को सूचित किया और मृत्यु प्रमाण पत्र को रिकॉर्ड पर रखा। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपी वीरभद्र सिंह के वकील द्वारा एक अर्जी दाखिल की गयी है जिसमें कहा गया है कि आरोपी की मृत्यु हो गई है और आरोपी का मृत्यु प्रमाण पत्र रिकॉर्ड में रखा गया है। इसके मद्देनजर आरोपी वीरभद्र सिंह के खिलाफ कार्यवाही समाप्त की जाती है।’’
सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अदालत सबूत रिकॉर्ड करने वाली थी, जबकि ईडी द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में आरोप तय किए जाने थे। सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ मामले जारी रहेंगे। वीरभद्र सिंह और अन्य ने बेगुनाह होने का दावा किया था और कहा था कि वे मुकदमे का सामना करेंगे।

सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में अदालत ने फरवरी 2019 में सिंह और अन्य के खिलाफ कथित आपराधिक कदाचार और आय के ज्ञात स्रोत से 10 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति के संबंध में आरोप तय किए थे। भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत दो अपराधों के अलावा, अदालत ने कहा था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह के खिलाफ प्रथमदृष्टया भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कथित जालसाजी और धोखाधड़ी के प्रयास के आरोप भी बनते हैं।

अदालत ने प्रतिभा सिंह और सात अन्य के खिलाफ अपराधों में कथित रूप से प्रेरित करने के आरोप भी तय किए थे। अन्य सात आरोपियों में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एजेंट आनंद चौहान, चुन्नी लाल चौहान, जोगिंदर सिंह घाल्टा, प्रेम राज, वकमुल्ला चंद्रशेखर, लवन कुमार रोच और राम प्रकाश भाटिया हैं। सीबीआई ने वीरभद्र सिंह और अन्य के खिलाफ कथित रूप से उनकी आय के ज्ञात स्रोत से लगभग 10 करोड़ रुपये की अधिक की संपत्ति के मामले में मामला दर्ज किया था। ज्ञात स्रोत से कथित तौर पर अधिक संपत्ति अर्जित करने का यह मामला उस वक्त का है जब सिंह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री थे।

प्रवर्तन निदेशालय ने सीबीआई के मामले के आधार पर सिंह और अन्य के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था।



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