उच्च न्यायालय ने विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा
punjabkesari.in Monday, Aug 02, 2021 - 03:42 PM (IST)
नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित एक याचिका पर सोमवार को दिल्ली सरकार से जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीशी डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को लागू करने के लिए 17 वर्षीय छात्रा देविना सिंह की जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।
न्यायालय ने मानव व्यवहार एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली से भी जवाब मांगा है। भारतीय राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 पर भरोसा करते हुए, सिंह ने तर्क दिया है कि बच्चे और किशोर मानसिक विकारों की चपेट में हैं और स्वास्थ्य प्रणाली मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देती है।
सिंह का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर ने किया। सिंह ने दावा किया है कि तनाव, भय, अवसाद, अनिद्रा और आत्मविश्वास की कमी विद्यार्थियों के बीच व्यापक रूप से प्रचलित मुद्दे हैं, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘शारीरिक स्वास्थ्य के विपरीत विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में कोई व्यापक मूल्यांकन और निदान / प्रोटोकॉल / मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) नहीं है।’’
याचिका में यह भी कहा गया है कि कोविड -19 महामारी का छात्रों पर बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप “माता-पिता की चिंता, दैनिक दिनचर्या में व्यवधान, पारिवारिक हिंसा में वृद्धि, और घरों में रहने के कारण शिक्षकों तक पहुंच कम हुई है या शारीरिक गतिविधि नहीं के बराबर है।’’
याचिका पर 16 सितम्बर को सुनवाई होगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मुख्य न्यायाधीशी डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को लागू करने के लिए 17 वर्षीय छात्रा देविना सिंह की जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।
न्यायालय ने मानव व्यवहार एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली से भी जवाब मांगा है। भारतीय राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 पर भरोसा करते हुए, सिंह ने तर्क दिया है कि बच्चे और किशोर मानसिक विकारों की चपेट में हैं और स्वास्थ्य प्रणाली मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देती है।
सिंह का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर ने किया। सिंह ने दावा किया है कि तनाव, भय, अवसाद, अनिद्रा और आत्मविश्वास की कमी विद्यार्थियों के बीच व्यापक रूप से प्रचलित मुद्दे हैं, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘शारीरिक स्वास्थ्य के विपरीत विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में कोई व्यापक मूल्यांकन और निदान / प्रोटोकॉल / मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) नहीं है।’’
याचिका में यह भी कहा गया है कि कोविड -19 महामारी का छात्रों पर बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप “माता-पिता की चिंता, दैनिक दिनचर्या में व्यवधान, पारिवारिक हिंसा में वृद्धि, और घरों में रहने के कारण शिक्षकों तक पहुंच कम हुई है या शारीरिक गतिविधि नहीं के बराबर है।’’
याचिका पर 16 सितम्बर को सुनवाई होगी।
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