एनजीटी ने डीपीसीसी को गाजीपुर मुर्गा मंडी में प्रदूषण फैलानी वाली गतिविधियां रोकने का दिया निर्देश
punjabkesari.in Sunday, Aug 01, 2021 - 03:24 PM (IST)
नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को निर्देश दिया है कि वह गाजीपुर मुर्गा मंडी में प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों का पता लगाए, प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ अभियोग चलाए, इन गतिविधियों को रोके और उल्लंघनकर्ताओं से मुआवजा वसूले।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीपीसीसी से मुर्गों को अव्यवस्थित तरीके से मारने से रोकने और मुर्गे-मुर्गियों के वध, मछलियों को काटने और उन्हें बेचने की प्रक्रिया के कारण पैदा हुए कचरे के प्रबंधन के लिए कदम उठाने के लिए भी कहा। हरित पैनल ने कहा कि यह उचित प्रतीत होता है कि डीपीसीसी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए अन्य संबंधित प्राधिकारियों के समन्वय से उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करे, अभियोजन शुरू करे, प्रदूषणकारी गतिविधियों को रोके और अतीत में किए गए उल्लंघनों के लिए मुआवजे की वसूली करे।
अधिकरण ने कहा कि इस प्रक्रिया में उत्पन्न अपशिष्ट को उपचारित करने और शोधित कचरे का उचित निस्तारण प्रणाली के माध्यम से उचित उपयोग/निपटान किए जाने की आवश्यकता है। गाजीपुर कचरा भराव स्थल और आवासीय क्षेत्र के आसपास के परिसर में गाद भरने के मानदंडों को विकसित करने और उनका पालन करने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), डीपीसीसी और जिला मजिस्ट्रेट (पूर्वी) की एक संयुक्त समिति जमीनी स्तर पर स्थिति की जांच कर सकती है और तीन महीने के भीतर मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट पेश कर सकती है।’’ उसने कहा कि डीपीसीसी समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगी तथा संयुक्त समिति आज से 15 दिनों के भीतर अपनी पहली बैठक कर सकती है और स्थल का दौरा कर सकती है।
हरित पैनल ने समिति को निर्देश दिया कि अन्य कार्यवाहियां ऑनलाइन आयोजित की जा सकती हैं। उसने समिति को पहले की रिपोर्टों के संदर्भ में भी स्थिति का जायजा लेने और मामले में उठाए गए कदमों का पता लगाने के लिए कहा।
श्रेया परोपकारी और अन्य ने दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड के नियंत्रण के तहत आने वाली गाजीपुर मुर्गा मंडी में गतिविधियों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान अधिकरण ने यह फैसला सुनाया। ऐसा बताया जाता है कि गाजीपुर मुर्गा मंडी एशिया की सबसे बड़ी पशुधन व्यापार मंडियों में से एक है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीपीसीसी से मुर्गों को अव्यवस्थित तरीके से मारने से रोकने और मुर्गे-मुर्गियों के वध, मछलियों को काटने और उन्हें बेचने की प्रक्रिया के कारण पैदा हुए कचरे के प्रबंधन के लिए कदम उठाने के लिए भी कहा। हरित पैनल ने कहा कि यह उचित प्रतीत होता है कि डीपीसीसी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए अन्य संबंधित प्राधिकारियों के समन्वय से उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करे, अभियोजन शुरू करे, प्रदूषणकारी गतिविधियों को रोके और अतीत में किए गए उल्लंघनों के लिए मुआवजे की वसूली करे।
अधिकरण ने कहा कि इस प्रक्रिया में उत्पन्न अपशिष्ट को उपचारित करने और शोधित कचरे का उचित निस्तारण प्रणाली के माध्यम से उचित उपयोग/निपटान किए जाने की आवश्यकता है। गाजीपुर कचरा भराव स्थल और आवासीय क्षेत्र के आसपास के परिसर में गाद भरने के मानदंडों को विकसित करने और उनका पालन करने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), डीपीसीसी और जिला मजिस्ट्रेट (पूर्वी) की एक संयुक्त समिति जमीनी स्तर पर स्थिति की जांच कर सकती है और तीन महीने के भीतर मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट पेश कर सकती है।’’ उसने कहा कि डीपीसीसी समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगी तथा संयुक्त समिति आज से 15 दिनों के भीतर अपनी पहली बैठक कर सकती है और स्थल का दौरा कर सकती है।
हरित पैनल ने समिति को निर्देश दिया कि अन्य कार्यवाहियां ऑनलाइन आयोजित की जा सकती हैं। उसने समिति को पहले की रिपोर्टों के संदर्भ में भी स्थिति का जायजा लेने और मामले में उठाए गए कदमों का पता लगाने के लिए कहा।
श्रेया परोपकारी और अन्य ने दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड के नियंत्रण के तहत आने वाली गाजीपुर मुर्गा मंडी में गतिविधियों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान अधिकरण ने यह फैसला सुनाया। ऐसा बताया जाता है कि गाजीपुर मुर्गा मंडी एशिया की सबसे बड़ी पशुधन व्यापार मंडियों में से एक है।
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