जेएनयू के कुलपति ने ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ नीति का स्वागत किया
punjabkesari.in Friday, Jul 30, 2021 - 01:21 AM (IST)
नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम जगदीश कुमार ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ नीति का स्वागत किया।
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन (डूटा) ने इस नीति का विरोध करते हुए कहा कि यह डिग्रियों को एक तरह से कमजोर करेगा।
कुमार ने कहा कि ‘देश का शीर्ष शैक्षणिक संस्थान’ होने के नाते विश्वविद्यालय इस नीति को लागू करने और इसका लाभ उठाने का प्रयास करेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिए जाने का एक साल पूरा होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री ने ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’, क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दिशा-निर्देश सहित शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी की।
मोदी ने कहा, ‘‘आधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित ''एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट'' प्रणाली से इस दिशा में छात्रों के लिए क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है। अब हर युवा अपनी रुचि से, अपनी सुविधा से कभी भी एक पाठ्यक्रम का चयन कर सकता है और छोड़ सकता है। अब किसी पाठ्यक्रम का चयन करते समय यह डर भी नहीं रहेगा कि अगर हमारा चयन गलत हो गया तो क्या होगा?’’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जो ये नए कार्यक्रम शुरू हुए हैं, उनमें भारत का भाग्य बदलने का सामर्थ्य है।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन (डूटा) ने इस नीति का विरोध करते हुए कहा कि यह डिग्रियों को एक तरह से कमजोर करेगा।
कुमार ने कहा कि ‘देश का शीर्ष शैक्षणिक संस्थान’ होने के नाते विश्वविद्यालय इस नीति को लागू करने और इसका लाभ उठाने का प्रयास करेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिए जाने का एक साल पूरा होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री ने ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’, क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दिशा-निर्देश सहित शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी की।
मोदी ने कहा, ‘‘आधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित ''एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट'' प्रणाली से इस दिशा में छात्रों के लिए क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है। अब हर युवा अपनी रुचि से, अपनी सुविधा से कभी भी एक पाठ्यक्रम का चयन कर सकता है और छोड़ सकता है। अब किसी पाठ्यक्रम का चयन करते समय यह डर भी नहीं रहेगा कि अगर हमारा चयन गलत हो गया तो क्या होगा?’’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जो ये नए कार्यक्रम शुरू हुए हैं, उनमें भारत का भाग्य बदलने का सामर्थ्य है।’’
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