मंत्री के हाथों से बयान की प्रति छीन उसके टुकड़े हवा में लहराना संसदीय लोकतंत्र पर हमला: नायडू

punjabkesari.in Friday, Jul 23, 2021 - 04:29 PM (IST)

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने उच्च सदन में लगातार हो रहे हंगामे और व्यवधान पर शुक्रवार को क्षोभ प्रकट करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से एक विपक्षी सदस्य द्वारा बयान की प्रति छीन उसके टुकड़े हवा में लहराने की घटना को ‘‘संसदीय लोकतंत्र पर हमला’’ करार दिया।

उन्होंने सदस्यों से सदन की कार्यवाही बाधित ना करने और जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की भावनात्मक अपील भी की।

गौरतलब है कि वैष्णव इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिये भारतीयों की कथित जासूसी के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को सदन में बयान दे रहे थे। उसी दौरान, तृणमूल कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल के सदस्य हंगामा करते हुए आसन के समीप आ गए तथा नारेबाजी करने लगे।

इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन ने केंद्रीय मंत्री के हाथों से बयान की प्रति छीन ली और उसके टुकड़े कर हवा में उछाल दिया। इसके बाद वैष्णव को बयान की प्रति सदन के पटल पर रखनी पड़ी।

सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही दो दिवंगत पूर्व सांसदों को श्रद्धांजलि दी गई और कुछ विधायी कामकाज निपटाने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में हंगामे पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया और कहा कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद अब तक केवल कोविड-19 महामारी के मुद्दे पर चार घंटे की चर्चा हो पाई है और इसके अलावा कोई अन्य कामकाज हंगामे की वजह से नहीं हो पाया।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी की विभीषिका के बीच यह सत्र आयोजित हुआ है और जनता से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जानी है।

उन्होंने सदस्यों के सामने कई सवाल भी उठाए ओर उनसे इर पर चिंतन करने को कहा।

सभापति ने बृहस्पतिवार को सदन में हुए हंगामे और इस दौरान शांतनु सेन सहित अन्य विपक्षी नेताओं के आचरण का जिक्र किया और इसे अशोभनीय बताया। सभापति ने कहा कि कल जो कुछ हुआ, निश्चित रूप से उससे सदन की गरिमा प्रभावित हुई।

नायडू ने कहा कि उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में ही स्पष्ट कर दिया था कि सदस्य मंत्री के बयान के बाद सदस्य चाहें तो स्पष्टीकरण पूछ सकते हैं। इससे उनकी चिंताओं का भी निवारण हो सकता था।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दुर्भाग्यवश सदन की कार्यवाही उस वक्त निम्न स्पर पर पहुंच गई जब मंत्री के हाथों से बयान की प्रति छीन कर उसके टुकड़े हवा में लहरा दिए गए। ऐसी कार्रवाई हमारे संसदीय लोकतंत्र पर हमला है।’’
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की गरिमा ही प्रभावित होती है।

सभापति ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी थी कि देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर चार घंटे चर्चा होगी। उन्होंने सरकार और विपक्ष को साथ बैठकर प्राथमिकता के आधार पर सत्र के लिए एजेंडा तय करें।

उन्होंने कहा कि उनके इस सुझाव का कई विपक्षी नेताओं ने स्वागत किया लेकिन जब सदन बैठा तो अलग ही चीजें सामने आई।

नायडू ने कहा कि उन्होंने पहले भी इस बात पर जोर दिया है कि संसद राजनीतिक संस्थाओं से बहुत बड़ी है क्योंकि उसके पास संवैधानिक अधिकार है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ऐसा लगता है कि संसद की गरिमा और संविधान के प्रति नाम मात्र का सम्मान है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।’’
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि जब देश आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है तो ऐसे समय में सदन की कार्यवाही में व्यवधान अच्छा संदेश नहीं देता। उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वह सदन की गरिमा धूमिल न होने दें।

उन्होंने सदस्यों को याद दिलाया कि वे संसदीय लोकतंत्र के संरक्षक हैं और उन्हें अपने-अपने राज्यों व वहां की जनता के मुद्दे उठाने चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘सदन में व्यवधान न्याय का कोई तरीका नहीं है।’’
नायडू ने कहा कि सदन में जो कुछ भी हो रहा है, सभापति के रूप में उन्हें बहुत दुख हुआ है।

तृणमूल सदस्य शांतनु सेन को सदन में उनके अशोभनीय आचरण के लिए राज्यसभा के मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए आज निलंबित कर दिया गया। इस संबंध में संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने प्रस्ताव किया जिसे धवनि मत से पारित कर दिया गया।

सेन के निलंबन के बाद तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा किया जिसके कारण आज फिर से कार्यवाही बाधित हुई।

संसद के मानसून सत्र की शुरुआत सोमवार को हुई थी लेकिन अब तक इसका अधिकतर समय हंगामे और व्यवधान में ही बीता है।



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