विवाद समाधान का महत्वपूर्ण तंत्र है मध्यस्थता : सीजेआई
punjabkesari.in Thursday, Jul 22, 2021 - 08:57 PM (IST)
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि ब्रिटिश लोगों और उनकी अदालत प्रणाली के आने से पहले भारत में आम तौर पर की जाती रही मध्यस्थता आज विवाद समाधान के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तंत्रों में से एक है तथा भविष्य में भी इसकी उपयोगिता बढ़ती रहेगी।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश लोगों ने न सिर्फ आधुनिक भारतीय न्याय प्रणाली की स्थापना की, बल्कि यह मिथक भी गढ़ा कि विवाद समाधान और न्याय के लिए काले कोट और गाउन पहनना तथा दलीलें प्रस्तुत करना आवश्यक है।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘यह समय इस तरह के मिथकों और मतों को खत्म करने का है। सत्य यह है कि भारत में ज्यादातर वादियों को अनेक तरह की सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें विवाद समाधान के त्वरित, किफायती और सुविधाजनक तरीके चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मध्यस्थता किसी विवाद से जुड़े पक्षों के लिए उपलब्ध एक ऐसा तंत्र है जिसमें उपर्युक्त विशेषताएं हैं। इस तथ्य के अतिरिक्त कि पक्षों के लिए यह किफायती, समय बचाने वाली और सुविधाजनक विधि है, मध्यस्थता का दूसरा आयाम यह है कि शायद पक्षों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है।’’
प्रधान न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय से प्रशिक्षित मध्यस्थों द्वारा आयोजित ‘इंटरनेशनल वर्चुअल मीडिएशन समर स्कूल, 2021’ में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि मध्यस्थता आज विवाद समाधान के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तंत्रों में से एक है तथा भविष्य में भी इसकी उपयोगिता बढ़ती रहेगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश लोगों ने न सिर्फ आधुनिक भारतीय न्याय प्रणाली की स्थापना की, बल्कि यह मिथक भी गढ़ा कि विवाद समाधान और न्याय के लिए काले कोट और गाउन पहनना तथा दलीलें प्रस्तुत करना आवश्यक है।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘यह समय इस तरह के मिथकों और मतों को खत्म करने का है। सत्य यह है कि भारत में ज्यादातर वादियों को अनेक तरह की सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें विवाद समाधान के त्वरित, किफायती और सुविधाजनक तरीके चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मध्यस्थता किसी विवाद से जुड़े पक्षों के लिए उपलब्ध एक ऐसा तंत्र है जिसमें उपर्युक्त विशेषताएं हैं। इस तथ्य के अतिरिक्त कि पक्षों के लिए यह किफायती, समय बचाने वाली और सुविधाजनक विधि है, मध्यस्थता का दूसरा आयाम यह है कि शायद पक्षों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है।’’
प्रधान न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय से प्रशिक्षित मध्यस्थों द्वारा आयोजित ‘इंटरनेशनल वर्चुअल मीडिएशन समर स्कूल, 2021’ में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि मध्यस्थता आज विवाद समाधान के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तंत्रों में से एक है तथा भविष्य में भी इसकी उपयोगिता बढ़ती रहेगी।
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